धर्म

आदिनाथ चालीसा – Adinath Chalisa

आदिनाथ चालीसा (Adinath Chalisa) शक्ति से परिपूर्ण है। इसके एक-एक शब्द में अद्भुत सामर्थ्य है। आदिनाथ अर्थात जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का वर्णन वेद-पुराणों में भी आता है। यह चालीसा उनके ही पावन जीवन-चरित का वर्णन करती है।

चालीस दिनों तक नियमित तौर पर चालीस बार आदिनाथ चालीसा (Aadinath Chalisa) का पाठ समस्त प्रकार के दारिद्र्य को समाप्त करने में सक्षम है। जो श्रद्धा-पूर्वक इसका पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। पढ़ें आदिनाथ चालीसा–

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भगवान आदिनाथ का चिह्न – बैल

दोहा
शीश नवा अरिहंत को,
सिद्धन को, करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का,
ले सुखकारी नाम॥

सर्व साधु और सरस्वती,
जिन मन्दिर में सुखकार।
आदिनाथ भगवान को,
मन मन्दिर में धार॥

चौपाई
जै जै आदिनाथ जिन स्वामी,
तीनकाल तिहूं जग में नामी।
वेष दिगमबर धार रहे हो,
कर्मों को तुम मार रहे हो॥

हो सर्वज्ञ बात सब जानो,
सारी दुनिया को पहिचानो।
नगर अयोध्या जो कहलाये,
राजा नाभिराज बतलाये।
मरुदेवी माता के उदर से,
चैतबदी नवमी को जन्मे॥

तुमने जग को ज्ञान सिखाया,
कर्मभूमि का बीज उपाया॥
कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने,
जनता आई दुखड़ा कहने॥

सब का संशय तभी भगाया,
सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया।
खेती करना भी सिखलाया,
न्याय दण्ड आदिक समझाया॥

तुमने राज किया नीति का,
सबक आपसे जग ने सीखा।
पुत्र आपका भरत बताया,
चक्रवर्ती जग में कहलाया॥

बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे,
भरत से पहले मोक्ष सिधारे।
सुता आपकी दो बतलाई,
ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई॥

उनको भी विद्या सिखलाई,
अक्षर और गिनती बतलाई।
इक दिन राजसभा के अन्दर,
एक अप्सरा नाच रही थी॥

आयु बहुत-बहुत अल्प थी,
इसलिए आगे नहीं नाच सकी थी।
विलय हो गया उसका सत्वर,
झट आया वैराग्य उमड़कर॥

बेटों को झट पास बुलाया,
राज पाट सब में बंटवाया।
छोड़ सभी झंझट संसारी,
वन जाने की करी तैयारी॥

राजा हजारों साथ सिधाए,
राजपाट तज वन को धाये।
लेकिन जब तुमने तप कीना,
सबने अपना रस्ता लीना॥

वेष दिगम्बर तजकर सबने,
छाल आदि के कपड़े पहने।
भूख प्यास से जब घबराये,
फल आदिक खा भूख मिटाये॥

तीन सौ वेसठ धर्म फैलाये,
जो अब दुनिया में दिखलाये।
छः महीने तक ध्यान लगाये,
फिर भोजन करने को धाये॥

भोजन विधि जाने नाहि कोय,
कैसे प्रभु का भोजन होय।
इसी तरह बस चलते-चलते,
छ: महीने भोजन को बीते॥

नगर हस्तिनापुर में आये,
राजा सोम श्रेयांस बताए।
याद तभी पिछला भव आया,
तुमको फौरन ही पड़गाया॥

रस गन्ने का तुमने पाया,
दुनिया को उपदेश सुनाया।
तपकर केवल ज्ञान पाया,
मोक्ष गए सब जग हर्षाया॥

अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर,
चांदखेड़ी भवरे के अन्दर।
उसका यह अतिशय बतलाया,
कष्ट क्लेश का होय सफाया॥

मानतुंग पर दया दिखाई,
जंजीरें सब काट गिराई।
राजसभा में मान बढ़ाया,
जैन धर्म जग में फैलाया॥

मुझ पर भी महिमा दिखलाओ,
कष्ट भक्त का दूर भगाओ॥

॥ सोरठा ॥

पाठ करे चालीस दिन, नित चालीस ही बार,
चांदखेड़ी में आयके, खेवे धूप अपार।
जन्म दरिद्री होय जो, होय कुबेर समान,
नाम वंश जग में चले, जिनके नहीं संतान॥

जाप – ॐ ह्रीं अर्हं श्री आदिनाथाय नमः

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर आदिनाथ चालीसा (Adinath Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें आदिनाथ चालीसा रोमन में–

Read Adinath Chalisa

॥dohā॥
śīśa navā arihaṃta ko,
siddhana ko, karū~ praṇāma।
upādhyāya ācārya kā,
le sukhakārī nāma॥

sarva sādhu aura sarasvatī,
jina mandira meṃ sukhakāra।
ādinātha bhagavāna ko,
mana mandira meṃ dhāra॥

॥caupāī॥
jai jai ādinātha jina svāmī,
tīnakāla tihūṃ jaga meṃ nāmī।
veṣa digamabara dhāra rahe ho,
karmoṃ ko tuma māra rahe ho॥

ho sarvajña bāta saba jāno,
sārī duniyā ko pahicāno।
nagara ayodhyā jo kahalāye,
rājā nābhirāja batalāye।
marudevī mātā ke udara se,
caitabadī navamī ko janme॥

tumane jaga ko jñāna sikhāyā,
karmabhūmi kā bīja upāyā॥
kalpavṛkṣa jaba lage bicharane,
janatā āī dukhaḍa़ā kahane॥

saba kā saṃśaya tabhī bhagāyā,
sūrya candra kā jñāna karāyā।
khetī karanā bhī sikhalāyā,
nyāya daṇḍa ādika samajhāyā॥

tumane rāja kiyā nīti kā,
sabaka āpase jaga ne sīkhā।
putra āpakā bharata batāyā,
cakravartī jaga meṃ kahalāyā॥

bāhubalī jo putra tumhāre,
bharata se pahale mokṣa sidhāre।
sutā āpakī do batalāī,
brāhmī aura sundarī kahalāī॥

unako bhī vidyā sikhalāī,
akṣara aura ginatī batalāī।
ika dina rājasabhā ke andara,
eka apsarā nāca rahī thī॥

āyu bahuta-bahuta alpa thī,
isalie āge nahīṃ nāca sakī thī।
vilaya ho gayā usakā satvara,
jhaṭa āyā vairāgya umaḍa़kara॥

beṭo ko jhaṭa pāsa bulāyā,
rāja pāṭa saba meṃ baṃṭavāyā।
choḍa़ sabhī jhaṃjhaṭa saṃsārī,
vana jāne kī karī taiyārī॥

rājā hajāroṃ sātha sidhāe,
rājapāṭa taja vana ko dhāye।
lekina jaba tumane tapa kīnā,
sabane apanā rastā līnā॥

veṣa digambara tajakara sabane,
chāla ādi ke kapaḍa़e pahane।
bhūkha pyāsa se jaba ghabarāye,
phala ādika khā bhūkha miṭāye॥

tīna sau vesaṭha dharma phailāye,
jo aba duniyā meṃ dikhalāye।
cha: mahīne taka dhyāna lagāye,
phira bhojana karane ko dhāye॥

bhojana vidhi jāne nāhi koya,
kaise prabhu kā bhojana hoya।
isī taraha basa calate-calate,
cha: mahīne bhojana ko bīte॥

nagara hastināpura meṃ āye,
rājā soma śreyāṃsa batāe।
yāda tabhī pichalā bhava āyā,
tumako phaurana hī paḍa़gāyā॥

rasa ganne kā tumane pāyā,
duniyā ko upadeśa sunāyā।
tapakara kevala jñāna pāyā,
mokṣa gae saba jaga harṣāyā॥

atiśaya yukta tumhārā mandira,
cāṃdakheḍa़ī bhavare ke andara।
usakā yaha atiśaya batalāyā,
kaṣṭa kleśa kā hoya saphāyā॥

mānatuṃga para dayā dikhāī,
jaṃjīreṃ saba kāṭa girāī।
rājasabhā meṃ māna baḍha़āyā,
jaina dharma jaga meṃ phailāyā॥

mujha para bhī mahimā dikhalāo,
kaṣṭa bhakta kā dūra bhagāo॥

॥soraṭhā॥
pāṭha kare cālīsa dina,
nita cālīsa hī bāra,
cāṃdakheḍa़ī meṃ āyake,
kheve dhūpa apāra।
janma daridrī hoya jo,
hoya kubera samāna,
nāma vaṃśa jaga meṃ cale,
jinake nahīṃ saṃtāna॥

jāpa – oṃ hīṃ aha~ śrī ādināthāya namaḥ

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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