धर्म

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ मेरी अंबे – Ae Jyoti Roop Jwala Maa Lyrics

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ
तेरी ज्योति सबसे न्यारी है
हर एक जन इसका परवाना
हर एक जान इसका पुजारी है
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली

जब कुछ भी न था इस धरती पर
तेरी ज्योति का नूर निराला था
न सूरज चंदा तारे थे
तेरी ज्योति का ही उजाला था
कैसी होगी तेरी ज्योति
जब सूरज एक चिंगारी है
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली

जिस घर में ज्योति जलती है
वह घर पावन हो जाता है
ज्योति से ज्योति मिल जाती
वह जग में अमर हो जाता है
यह ज्योति जीवन देती है
यह ज्योति पालनहारी है
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली

धरती का सीना चीर के माँ
पाताल लोक से आई है
इसकी लीला का अंत नहीं
कण-कण में यही समय है
निर्बल को शक्ति देती है
यह शक्ति अतुल तुम्हारी है
जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम हे ज्योति रूप ज्वाला माँ मेरी अंबे भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह माता का भजन रोमन में–

Read Ae Jyoti Roop Jwala Maa Lyrics

he jyoti rūpa jvālā mā~
terī jyoti sabase nyārī hai
hara eka jana isakā paravānā
hara eka jāna isakā pujārī hai
jaya mā~ śerāvālī jaya mā~ jyotāvālī

jaba kucha bhī na thā isa dharatī para
terī jyoti kā nūra nirālā thā
na sūraja caṃdā tāre the
terī jyoti kā hī ujālā thā
kaisī hogī terī jyoti
jaba sūraja eka ciṃgārī hai
jaya mā~ śerāvālī jaya mā~ jyotāvālī

jisa ghara meṃ jyoti jalatī hai
vaha ghara pāvana ho jātā hai
jyoti se jyoti mila jātī
vaha jaga meṃ amara ho jātā hai
yaha jyoti jīvana detī hai
yaha jyoti pālanahārī hai
jaya mā~ śerāvālī jaya mā~ jyotāvālī

dharatī kā sīnā cīra ke mā~
pātāla loka se āī hai
isakī līlā kā aṃta nahīṃ
kaṇa-kaṇa meṃ yahī samaya hai
nirbala ko śakti detī hai
yaha śakti atula tumhārī hai
jaya mā~ śerāvālī jaya mā~ jyotāvālī

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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