बुध स्तोत्र – Budh Stotra
बुध स्तोत्र (Buddh Stotra) हिंदू धर्म में बुध ग्रह को समर्पित एक स्तोत्र है। ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संचार कौशल, गणित, चतुराई और व्यापार का कारक माना जाता है। बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित होता है।
पीताम्बर: पीतवपुः किरीटश्र्वतुर्भजो देवदु: खपहर्ता।
धर्मस्य धृक् सोमसुत: सदा मे सिंहाधिरुढो वरदो बुधश्र्व ॥1॥
प्रियंगुकनकश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं नमामि शशिनंदनम ॥2॥
सोमसूनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित:।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम् ॥3॥
उत्पातरूप: जगतां चन्द्रपुत्रो महाधुति:।
सूर्यप्रियकारी विद्वान् पीडां हरतु मे बुध: ॥4॥
शिरीष पुष्पसडंकाश: कपिशीलो युवा पुन:।
सोमपुत्रो बुधश्र्वैव सदा शान्ति प्रयच्छतु ॥5॥
श्याम: शिरालश्र्व कलाविधिज्ञ: कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रजोधिकोमध्यमरूपधृक्स्यादाताम्रनेत्रीद्विजराजपुत्र: ॥6॥
अहो चन्द्र्सुत श्रीमन् मागधर्मासमुद्रव:।
अत्रिगोत्रश्र्वतुर्बाहु: खड्गखेटक धारक: ॥7॥
गदाधरो न्रसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित:।
केतकीद्रुमपत्राभ इंद्रविष्णुपूजित: ॥8॥
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्र्व रोहिणेयश्र्व सोमज:।
कुमारो राजपुत्रश्र्व शैशेव: शशिनन्दन: ॥9॥
गुरुपुत्रश्र्व तारेयो विबुधो बोधनस्तथा।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ॥10॥
एतानि बुध नमामि प्रात: काले पठेन्नर:।
बुद्धिर्विव्रद्वितांयाति बुधपीड़ा न जायते ॥11॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह बुध स्तोत्र को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें स्तोत्र रोमन में–
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pītāmbara: pītavapuḥ kirīṭaśrvaturbhajo devadu: khapahartā।
dharmasya dhṛk somasuta: sadā me siṃhādhiruḍho varado budhaśrva ॥1॥
priyaṃgukanakaśyāmaṃ rupeṇāpratimaṃ budham।
saumyaṃ saumya guṇopetaṃ namāmi śaśinaṃdanama ॥2॥
somasūnurbudhaścaiva saumya: saumyaguṇānvita:।
sadā śānta: sadā kṣemo namāmi śaśinandanam ॥3॥
utpātarūpa: jagatāṃ candraputro mahādhuti:।
sūryapriyakārī vidvān pīḍāṃ haratu me budha: ॥4॥
śirīṣa puṣpasaḍaṃkāśa: kapiśīlo yuvā puna:।
somaputro budhaśrvaiva sadā śānti prayacchatu ॥5॥
śyāma: śirālaśrva kalāvidhijña: kautūhalī komalavāgvilāsī ।
rajodhikomadhyamarūpadhṛksyādātāmranetrīdvijarājaputra: ॥6॥
aho candrsuta śrīman māgadharmāsamudrava:।
atrigotraśrvaturbāhu: khaḍgakheṭaka dhāraka: ॥7॥
gadādharo nrasiṃhastha: svarṇanābhasamanvita:।
ketakīdrumapatrābha iṃdraviṣṇupūjita: ॥8॥
jñeyo budha: paṇḍitaśrva rohiṇeyaśrva somaja:।
kumāro rājaputraśrva śaiśeva: śaśinandana: ॥9॥
guruputraśrva tāreyo vibudho bodhanastathā।
saumya: saumyaguṇopeto ratnadānaphalaprada: ॥10॥
etāni budha namāmi prāta: kāle paṭhennara:।
buddhirvivradvitāṃyāti budhapīड़ā na jāyate ॥11॥
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