यह देखकर कि इच्छा के अनुसार कार्य अग्रसर नहीं हो रहा है स्वामी विवेकानंद के चित्त में खेद
यह देखकर कि इच्छा के अनुसार कार्य अग्रसर नहीं हो रहा है स्वामीजी के चित्त में खेद – धारावाहिक कल्याण-चिन्तन द्वारा जगत् का कल्याण करना आदि।
Read Moreस्वामी विवेकानंद का संपूर्ण साहित्य
यह देखकर कि इच्छा के अनुसार कार्य अग्रसर नहीं हो रहा है स्वामीजी के चित्त में खेद – धारावाहिक कल्याण-चिन्तन द्वारा जगत् का कल्याण करना आदि।
Read Moreस्वामीजी जीवन के अन्तिन दिनों में किस भाव से मठ में कहाकरते थे – उनकी दरिद्रनारायणसेवा – देश के गरीब दुःखियों के प्रति उनकी जीती आदि।
Read Moreवराहनगर मठ में श्रीरामकृष्णदेव के संन्यासी शिष्यों का साधन भजन – मठ की पहली स्थिति – स्वामीजी के जीवन के कुछ दुःखके दिन आदि।
Read Moreस्वामीजी का मनःसंयम – स्त्री-मठ की स्थापना के संकल्प के सम्बन्ध में शिष्य से बातचीतधर्म को शिक्षा की नींव बनानी होगी आदि।
Read Moreआत्मा अति निकट है, फिर भी उसकी अनुभूति आसानी सेक्यों नहीं होती – स्वामीजी कीध्यानतन्मयता आदि।
Read Moreमठ के सम्बन्ध में नैष्ठिक हिन्दुओं की पूर्व धारणा – स्वामीजी जैसे ब्रह्मज्ञ पुरुष द्वारा देव-देवी की पूजा करना सोचने की बात है आदि।
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Read Moreस्थान – बेलुड़ मठ वर्ष – १९०२ ईसवी विषय – मठ में कठिन विधि-नियमों का प्रचलन – “आत्माराम कीडिबिया” व
Read Moreस्थान – बेलुड़ – किराये का मठ वर्ष – १८९८ ईसवी विषय – मठ में श्रीरामकृष्णदेव की जन्मतिथिपूजा – ब्राह्मणजाति
Read Moreस्थान – बेलुड़ मठ वर्ष – १९०२ ईसव विषय – बेलुड़ मठ में जप-ध्यान का अनुष्ठान – विद्यारूपिणी कुण्डलिनी के
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