स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का संपूर्ण साहित्य

धर्मस्वामी विवेकानंद

यह देखकर कि इच्छा के अनुसार कार्य अग्रसर नहीं हो रहा है स्वामी विवेकानंद के चित्त में खेद

यह देखकर कि इच्छा के अनुसार कार्य अग्रसर नहीं हो रहा है स्वामीजी के चित्त में खेद – धारावाहिक कल्याण-चिन्तन द्वारा जगत् का कल्याण करना आदि।

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धर्मस्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद जी जीवन के अन्तिन दिनों में किस भाव से मठ में कहा करते थे

स्वामीजी जीवन के अन्तिन दिनों में किस भाव से मठ में कहाकरते थे – उनकी दरिद्रनारायणसेवा – देश के गरीब दुःखियों के प्रति उनकी जीती आदि।

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धर्मस्वामी विवेकानंद

वराहनगर मठ में श्रीरामकृष्णदेव के संन्यासी शिष्यों का साधन भजन – मठ की पहली स्थिति

वराहनगर मठ में श्रीरामकृष्णदेव के संन्यासी शिष्यों का साधन भजन – मठ की पहली स्थिति – स्वामीजी के जीवन के कुछ दुःखके दिन आदि।

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स्वामी विवेकानंद का मनःसंयम

स्वामीजी का मनःसंयम – स्त्री-मठ की स्थापना के संकल्प के सम्बन्ध में शिष्य से बातचीतधर्म को शिक्षा की नींव बनानी होगी आदि।

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स्वामी विवेकानंद

आत्मा अति निकट है, फिर भी उसकी अनुभूति आसानी से क्यों नहीं होती

आत्मा अति निकट है, फिर भी उसकी अनुभूति आसानी सेक्यों नहीं होती – स्वामीजी कीध्यानतन्मयता आदि।

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धर्मस्वामी विवेकानंद

मठ के सम्बन्ध में नैष्ठिक हिन्दुओं की पूर्वधारणा

मठ के सम्बन्ध में नैष्ठिक हिन्दुओं की पूर्व धारणा – स्वामीजी जैसे ब्रह्मज्ञ पुरुष द्वारा देव-देवी की पूजा करना सोचने की बात है आदि।

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श्रीरामकृष्ण का जन्मोत्सव भविष्य में सुन्दर बनाने की योजना

श्रीरामकृष्ण का जन्मोत्सव भविष्य में सुन्दर बनाने की योजना – शिष्य को आशीर्वाद, “जब यहाँ पर आया है तो अवश्य ही ज्ञान प्राप्त होगा” आदि।

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धर्मस्वामी विवेकानंद

मठ में श्रीरामकृष्णदेव की जन्मतिथिपूजा

स्थान – बेलुड़ – किराये का मठ वर्ष – १८९८ ईसवी विषय – मठ में श्रीरामकृष्णदेव की जन्मतिथिपूजा – ब्राह्मणजाति

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