चाणक्य नीति का अध्याय 17
चाणक्य नीति का अध्याय 17 “चाणक्य नीति” का अंतिम अध्याय है। इसके ऊपर चिंतन करना अत्यावश्यक है।
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Read Moreचाणक्य नीति का सोलहवाँ अध्याय बहुत ही गहन है। गंभीरता पूर्वक इसका जितना अध्ययन किया जाए, वह कम है।
Read Moreचाणक्य नीति का अध्याय 15 आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है। यह अध्याय ज्ञान और व्यावहारिक सूझ-बूझ से भरपूर है।
Read Moreचाणक्य नीति का चतुर्दश अध्याय गागर में सागर की तरह है। यह ज्ञान की बहुत-सी भिन्न-भिन्न धाराओं को छूता है।
Read Moreचाणक्य नीति का अध्याय तेरह ज्ञान का खज़ाना है। इसमें व्यावहारिकता की समझ कूट-कूट कर भरी हुई है।
Read Moreचाणक्य नीति का द्वादश अध्याय गागर में सागर की तरह ज्ञान को समेटे हुए है। पढ़ें यह पठनीय अध्याय और जीवन को ज्ञान की ज्योति से आलोकित करें। अन्य अध्याय पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – चाणक्य नीति।
Read Moreइस अध्याय में पढ़ें कलिक व्याध और उत्तङ्क मुनिकी कथा व जानें चैत्र में रामकथा के पठन और श्रवण का महत्व।
Read Moreइस अध्याय में राजा सुमति और सत्यवती के पूर्व-जन्म का इतिहास और माघ रामायण-श्रवण का फल बताया गया है।
Read Moreइस अध्याय में नारद व सनत्कुमार का संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण को राक्षसत्व से उद्धार का वर्णन है।
Read Moreरामायण के पाठ की महिमा बताने वाला यह वाल्मीकि रामायण का प्रथम अध्याय है। इसमें कलियुग की स्थिति और श्रवण के लिये उत्तम काल आदि का वर्णन है।
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