धर्म

दाऊजी महाराज की आरती – Dauji Maharaj Ki Aarti

दाऊजी महाराज की आरती का गायन पाप-ताप का हरण करने वाला और अभीष्ट की सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है।

जो भी व्यक्ति दाऊजी महाराज की आरती (Dauji Maharaj Ki Aarti) पढ़ता है, उसकी रक्षा निस्सन्देह स्वयं बलभद्र करते हैं। पुराणों और शास्त्रों में दाऊजी का बहुत महत्व वर्णित है। भगवान श्री कृष्ण के अग्रज बलराम ही दाऊजी के नाम से जगत में प्रसिद्ध हैं। उनका स्मरण मात्र ही सभी बाधाओं को दूर कर देता है।

जिसके ऊपर उनकी कृपा होती है, वह सरलता पूर्वक ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त कर लेता है। जो भक्त शुद्ध अन्तःकरण से दाऊजी महाराज की आरती गाता है उसके बिगड़े काम बनने लगते हैं। शेषनाग के अवतार बलभद्र की कृपा अनन्त है। आवश्यकता है तो उन्हें निश्छल भाव से याद करने की। पढ़ें दाऊ जी की आरती हिंदी में–

जय बलदेव हरे, स्वामी जय बलदेव हरे।
हे दुःख भंजन, रोहिणी नंदन, सब दुख दूर करे॥
ॐ जय बलदेव हरे…

जय बलदेव हरे, स्वामी जय बलदेव हरे।
हे दुःख भंजन, रोहिणी नंदन, सब दुख दूर करे॥
ॐ जय बलदेव हरे…

में जग में भटका हु, पार करो बाबा।
स्वामी पार करो बाबा अपनी शरण लगाओ उद्धार करो बाबा॥
ॐ जय बलदेव हरे…

माथे मुकुट विराजे, सिरे पंचरंग चीरा।
स्वामी सि पचरंग चीरा चन्दा के सम चमकै, ठोड़ी पै हीरा॥
ॐ जय बलदेव हरे…

सुन्दर वस्त्र मनोहर, मन हरनी झांकी।
स्वामी मन हरनी झांकी आपने भक्त जनन पै, नजर करो बाँकी॥
ॐ जय बलदेव हरे…

माखन मिश्री खावे, विजया भोग धरे।
स्वामी विजया भोग धरे सकल मनोरथ सारे , विपदा दूर करे॥
ॐ जाये बलदेव हरे…

मैया संमुख विराजै, सबके दुःख हरनी।
स्वामी सबके दुःख हरनी सबकी करै सहाई, माँ मंगल करनी॥
ॐ जय बलदेव हरे…

जो नर तुमको ध्यावै, कष्ट नहीं पावै।
स्वामी कष्ट नहीं पावै अमर प्रेम पद पावै, भाव से तर जावै॥
ॐ जय बलदेव हरे…

सुन्दर ताल बानो है, क्षीर सागर न्यारो।
स्वामी क्षीर सागर न्यारो जो स्नान करै जन, मिट जाये दुःख सारो॥
ॐ जय बलदेव हरे…

कृष्णचन्द्र वृन्दावन, महारास कीन्हौ।
स्वामी महारास कीन्हौ गिरि के ऊपर बैठे, सिंह रूप लीन्हो॥
ॐ जय बलदेव हरे…

अजब अनौखी लीला, है ब्रज में भारी।
स्वामी है ब्रज में भारी वानर द्विविद गिराया, हलमूसल धारी॥
ॐ जय बलदेव हरे…

दाऊ बाबा की आरती, जो जन नित गावै।
स्वामी जो जन नित गावै मान वाँछित फल पावै, मन – मन हरषावै॥
ॐ जय बलदेव हरे…

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर दाऊजी महाराज की आरती ( Dauji Maharaj Ki Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें दाऊजी महाराज की आरती रोमन में–

Read Dauji Maharaj Ki Aarti

jaya baladeva hare, svāmī jaya baladeva hare।
he duḥkha bhaṃjana, rohiṇī naṃdana, saba dukha dūra kare॥
oṃ jaya baladeva hare…

jaya baladeva hare, svāmī jaya baladeva hare।
he duḥkha bhaṃjana, rohiṇī naṃdana, saba dukha dūra kare॥
oṃ jaya baladeva hare…

meṃ jaga meṃ bhaṭakā hu, pāra karo bābā।
svāmī pāra karo bābā apanī śaraṇa lagāo uddhāra karo bābā॥
oṃ jaya baladeva hare…

māthe mukuṭa virāje, sire paṃcaraṃga cīrā।
svāmī si pacaraṃga cīrā candā ke sama camakai, ṭhoड़ī pai hīrā॥
oṃ jaya baladeva hare…

sundara vastra manohara, mana haranī jhāṃkī।
svāmī mana haranī jhāṃkī āpane bhakta janana pai, najara karo bā~kī॥
oṃ jaya baladeva hare…

mākhana miśrī khāve, vijayā bhoga dhare।
svāmī vijayā bhoga dhare sakala manoratha sāre , vipadā dūra kare॥
oṃ jāye baladeva hare…

maiyā saṃmukha virājai, sabake duḥkha haranī।
svāmī sabake duḥkha haranī sabakī karai sahāī, mā~ maṃgala karanī॥
oṃ jaya baladeva hare…

jo nara tumako dhyāvai, kaṣṭa nahīṃ pāvai।
svāmī kaṣṭa nahīṃ pāvai amara prema pada pāvai, bhāva se tara jāvai॥
oṃ jaya baladeva hare…

sundara tāla bāno hai, kṣīra sāgara nyāro।
svāmī kṣīra sāgara nyāro jo snāna karai jana, miṭa jāye duḥkha sāro॥
oṃ jaya baladeva hare…

kṛṣṇacandra vṛndāvana, mahārāsa kīnhau।
svāmī mahārāsa kīnhau giri ke ūpara baiṭhe, siṃha rūpa līnho॥
oṃ jaya baladeva hare…

ajaba anaukhī līlā, hai braja meṃ bhārī।
svāmī hai braja meṃ bhārī vānara dvivida girāyā, halamūsala dhārī॥
oṃ jaya baladeva hare…

dāū bābā kī āratī, jo jana nita gāvai।
svāmī jo jana nita gāvai māna vā~chita phala pāvai, mana – mana haraṣāvai॥
oṃ jaya baladeva hare…

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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