धर्म

गणपति आज पधारो – Ganapati Aaj Padharo Shri Ramaji Ki Dhun Me Lyrics

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में। – 2

रामजी की धुन में,
श्री रामजी की धुन में।
मोदक भोग लगाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।

गणपति आज पधारो,
और रिद्धि सिद्धि लाओ।
सुख आनंद बरसाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।

हनुमंत आज पधारो,
देवा पवन वेग से आओ।
बल बुद्धि दे जाओ,
श्री रामजी की धुन में ॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।

ब्रम्हाजी पधारो,
माता ब्रम्हाणी को लाओ।
वेद ज्ञान समझाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।

नारद आज पधारो,
छम छम, छम कर ताल बजाओ।
नारायण गुण गाओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में।

प्रेम मगन हो जाओ भक्तो,
राम नाम गुण गाओ
सुर मंदिर में आओ,
श्री रामजी की धुन में॥

गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में। – 2

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह मधुर भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–

Read Ganapati Aaj Padharo Lyrics

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।
gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

rāmajī kī dhuna meṃ,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।
modaka bhoga lagāo,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ॥

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

gaṇapati āja padhāro,
aura riddhi siddhi lāo ।
sukha ānaṃda barasāo,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ॥

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

hanumaṃta āja padhāro,
devā pavana vega se āo ।
bala buddhi de jāo,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ॥

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

bramhājī padhāro,
mātā bramhāṇī ko lāo ।
veda jñāna samajhāo,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ॥

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

nārada āja padhāro,
chama chama, chama kara tāla bajāo ।
nārāyaṇa guṇa gāo,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ॥

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

prema magana ho jāo bhakto,
rāma nāma guṇa gāo ।
sura maṃdira meṃ āo,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ॥

gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।
gaṇapati āja padhāro,
śrī rāmajī kī dhuna meṃ ।

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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