धर्म

गोरख चालीसा – Gorakh Chalisa

गोरख चालीसा का पाठ बारह बार करने से मन की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। गुरु गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) का गायन मन को शांति देने वाला है।

मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य गोरक्षनाथ का नाम योगियों में प्रसिद्ध है। वे नवनाथों में एक माने जाते हैं। उनके भक्त व अनुयायी पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। करें गोरख चालीसा (Gorakh Chalisa) का पाठ–

॥ दोहा ॥
गणपति गिरजा पुत्र को
सुमिरूँ बारम्बार।
हाथ जोड़ विनती करूँ
शारद नाम आधार॥

॥ चौपाई ॥
जय जय गोरख नाथ अविनासी,
कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी।

जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी,
इच्छा रूपी योगी वरदानी।

अलख निरंजन तुम्हरो नामा,
सदा करो भक्तन हित कामा।

नाम तुम्हारा जो कोई गावे,
जन्म जन्म के दुःख मिट जावे।

जो कोई गोरख नाम सुनावे,
भूत पिशाच निकट नहीं आवे।

ज्ञान तुम्हारा योग से पावे,
रूप तुम्हारा लख्या न जावे।

निराकार तुम हो निर्वाणी,
महिमा तुम्हारी वेद न जानी।

घट घट के तुम अन्तर्यामी,
सिद्ध चौरासी करें प्रणामी।

भस्म अङ्ग गल नाद विराजे,
जटा शीश अति सुन्दर साजे।

तुम बिन देव और नहीं दूजा,
देव मुनि जन करते पूजा।

चिदानन्द सन्तन हितकारी,
मंगल करण अमंगल हारी।

पूर्ण ब्रह्म सकल घट वासी,
गोरख नाथ सकल प्रकाशी।

गोरख गोरख जो कोई ध्यावे,
ब्रह्म रूप के दर्शन पावे।

शंकर रूप धर डमरू बाजे,
कानन कुण्डल सुन्दर साजे।

नित्यानन्द है नाम तुम्हारा,
असुर मार भक्तन रखवारा।

अति विशाल है रूप तुम्हारा,
सुर नर मुनि जन पावें न पारा।

दीन बन्धु दीनन हितकारी,
हरो पाप हर शरण तुम्हारी।

योग युक्ति में हो प्रकाशा,
सदा करो सन्तन तन वासा।

प्रात:काल ले नाम तुम्हारा,
सिद्धि बढ़े अरु योग प्रचारा।

हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले,
मार मार वैरी के कीले।

चल चल चल गोरख विकराला,
दुश्मन मार करो बेहाला।

जय जय जय गोरख अविनाशी,
अपने जन की हरो चौरासी।

अचल अगम है गोरख योगी,
सिद्धि देवो हरो रस भोगी।

काटो मार्ग यम को तुम आई,
तुम बिन मेरा कौन सहाई।

अजर अमर है तुम्हरी देहा,
सनकादिक सब जोरहिं नेहा।

कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा।

योगी लखे तुम्हारी माया,
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया।

ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे,
अष्टसिद्धि नव निधि घर पावे।

शिव गोरख है नाम तुम्हारा,
पापी दुष्ट अधम को तारा।

अगम अगोचर निर्भय नाथा,
सदा रहो सन्तन के साथा।

शंकर रूप अवतार तुम्हारा,
गोपीचन्द, भरथरी को तारा।

सुन लीजो प्रभु अरज हमारी,
कृपासिन्धु योगी ब्रह्मचारी।

पूर्ण आस दास की कीजे,
सेवक जान ज्ञान को दीजे।

पतित पावन अधम अधारा,
तिनके हेतु तुम लेत अवतारा।

अलख निरंजन नाम तुम्हारा,
अगम पन्थ जिन योग प्रचारा।

जय जय जय गोरख भगवाना,
सदा करो भक्तन कल्याना।

जय जय जय गोरख अविनासी,
सेवा करें सिद्ध चौरासी।

जो ये पढ़हि गोरख चालीसा,
होय सिद्ध साक्षी जगदीशा।

हाथ जोड़कर ध्यान लगावे,
और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे।

बारह पाठ पढ़े नित जोई,
मनोकामना पूर्ण होई।

॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेम वश,
पूजे अपने हाथ।
मन इच्छा सब कामना,
पूरे गोरखनाथ॥

अगर अगोचर नाथ तुम,
पारब्रह्म अवतार।
कानन कुण्डल सिर जटा,
अंग विभूति अपार॥

सिद्ध पुरुष योगेश्वरो,
दो मुझको उपदेश।
हर समय सेवा करूं,
सुबह शाम आदेश॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गुरु गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गुरु गोरखनाथ चालीसा रोमन में–

Read Gorakh Chalisa

॥ dohā ॥
gaṇapati girajā putra ko
sumirū~ bārambāra।
hātha joḍa़ vinatī karū~
śārada nāma ādhāra ॥

॥ caupāī ॥
jaya jaya gorakha nātha avināsī,
kṛpā karo gurudeva prakāśī।

jaya jaya jaya gorakha guṇa jñānī,
icchā rūpī yogī varadānī।

alakha niraṃjana tumharo nāmā,
sadā karo bhaktana hita kāmā।

nāma tumhārā jo koī gāve,
janma janma ke duḥkha miṭa jāve।

jo koī gorakha nāma sunāve,
bhūta piśāca nikaṭa nahīṃ āve।

jñāna tumhārā yoga se pāve,
rūpa tumhārā lakhyā na jāve।

nirākāra tuma ho nirvāṇī,
mahimā tumhārī veda na jānī।

ghaṭa ghaṭa ke tuma antaryāmī,
siddha caurāsī kare praṇāmī।

bhasma aṅga gala nāda virāje,
jaṭā śīśa ati sundara sāje।

tuma bina deva aura nahīṃ dūjā,
deva muni jana karate pūjā।

cidānanda santana hitakārī,
maṃgala karaṇa amaṃgala hārī।

pūrṇa brahma sakala ghaṭa vāsī,
gorakha nātha sakala prakāśī।

gorakha gorakha jo koī dhyāve,
brahma rūpa ke darśana pāve।

śaṃkara rūpa dhara ḍamarū bāje,
kānana kuṇḍala sundara sāje।

nityānanda hai nāma tumhārā,
asura māra bhaktana rakhavārā।

ati viśāla hai rūpa tumhārā,
sura nara muni jana pāveṃ na pārā।

dīna bandhu dīnana hitakārī,
haro pāpa hara śaraṇa tumhārī।

yoga yukti meṃ ho prakāśā,
sadā karo santana tana vāsā।

prāta:kāla le nāma tumhārā,
siddhi baḍha़e aru yoga pracārā।

haṭha haṭha haṭha gorakṣa haṭhīle,
māra māra vairī ke kīle।

cala cala cala gorakha vikarālā,
duśmana māra karo behālā।

jaya jaya jaya gorakha avināśī,
apane jana kī haro caurāsī।

acala agama hai gorakha yogī,
siddhi devo haro rasa bhogī।

kāṭo mārga yama ko tuma āī,
tuma bina merā kauna sahāī।

ajara amara hai tumharī dehā,
sanakādika saba jorahiṃ nehā।

koṭina ravi sama teja tumhārā,
hai prasiddha jagata ujiyārā।

yogī lakhe tumhārī māyā,
pāra brahma se dhyāna lagāyā।

dhyāna tumhārā jo koī lāve,
aṣṭasiddhi nava nidhi ghara pāve।

śiva gorakha hai nāma tumhārā,
pāpī duṣṭa adhama ko tārā।

agama agocara nirbhaya nāthā,
sadā raho santana ke sāthā।

śaṃkara rūpa avatāra tumhārā,
gopīcanda, bharatharī ko tārā।

suna lījo prabhu araja hamārī,
kṛpāsindhu yogī brahmacārī।

pūrṇa āsa dāsa kī kīje,
sevaka jāna jñāna ko dīje।

patita pāvana adhama adhārā,
tinake hetu tuma leta avatārā।

alakha niraṃjana nāma tumhārā,
agama pantha jina yoga pracārā।

jaya jaya jaya gorakha bhagavānā,
sadā karo bhaktana kalyānā।

jaya jaya jaya gorakha avināsī,
sevā kareṃ siddha caurāsī।

jo ye paḍha़hi gorakha cālīsā,
hoya siddha sākṣī jagadīśā।

hātha joḍa़kara dhyāna lagāve,
aura śraddhā se bheṃṭa caḍha़āve।

bāraha pāṭha paḍha़e nita joī,
manokāmanā pūrṇa hoī।

॥ dohā ॥
sune sunāve prema vaśa,
pūje apane hātha।
mana icchā saba kāmanā,
pūre gorakhanātha॥

agara agocara nātha tuma,
pārabrahma avatāra।
kānana kuṇḍala sira jaṭā,
aṃga vibhūti apāra॥

siddha puruṣa yogeśvaro,
do mujhako upadeśa।
hara samaya sevā karūṃ,
subaha śāma ādeśa॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!