कविता

क्यों ढूंढे – Kyun Dhunde Lyrics in Hindi

क्यों ढूंढे है तू ख़ुद में ग़म, ये बता?
जब जादू यहाँ चलती फ़िज़ाओं में है
क्यों ढूंढे है तू रात में दिन का पता
जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है?
क्यूँ देखे है तू आँख भर एक सपना?
सपने तो यहाँ बुनते हज़ारों में हैं

क्यूँ ढूँढे है तू भीड़ में एक अपना?
अपने तो यहाँ सब अंजाने भी हैं
क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता
जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है?

और कभी-कभी जो अश्कों से मुलाक़ात होती है
वो समझाने को अंजानी एक बात होती है
अरमानों की सड़क पे ना हैराँ हो, प्यारे
जहाँ तू है वहाँ भी तो बरसात होती है
और होती है जोबन की फ़िर से सुबह
वो सुबह भी चमकती किताब होती है

जा ले-ले तू भी मन-मर्ज़ी का मज़ा
क्या रखा तेरी चारदीवारों में है?
क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता
जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है?

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम क्यों ढूंढे गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें इस गीत के बोल रोमन में-

Read Kyun Dhunde Lyrics

kyoṃ ḍhūṃḍhe hai tū ख़uda meṃ ग़ma, ye batā?
jaba jādū yahā~ calatī फ़iज़āoṃ meṃ hai
kyoṃ ḍhūṃḍhe hai tū rāta meṃ dina kā patā
jaba mastī yahā~ cā~danī rāhoṃ meṃ hai?
kyū~ dekhe hai tū ā~kha bhara eka sapanā?
sapane to yahā~ bunate haज़āroṃ meṃ haiṃ

kyū~ ḍhū~ḍhe hai tū bhīड़ meṃ eka apanā?
apane to yahā~ saba aṃjāne bhī haiṃ
kyū~ ḍhū~ḍhe hai tū rāta meṃ dina kā patā
jaba mastī yahā~ cā~danī rāhoṃ meṃ hai?

aura kabhī-kabhī jo aśkoṃ se mulāक़āta hotī hai
vo samajhāne ko aṃjānī eka bāta hotī hai
aramānoṃ kī saड़ka pe nā hairā~ ho, pyāre
jahā~ tū hai vahā~ bhī to barasāta hotī hai
aura hotī hai jobana kī फ़ira se subaha
vo subaha bhī camakatī kitāba hotī hai

jā le-le tū bhī mana-marज़ī kā maज़ā
kyā rakhā terī cāradīvāroṃ meṃ hai?
kyū~ ḍhū~ḍhe hai tū rāta meṃ dina kā patā
jaba mastī yahā~ cā~danī rāhoṃ meṃ hai?

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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