धर्म

मां ने धरा रूप विकराल – Maa Ne Dhara Roop Vikraal

पढ़ें “मां ने धरा रूप विकराल” लिरिक्स

ॐ जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी l
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते ll

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी, नारायणी नमोऽस्तु ते ॥

जय काली, जय काली, जय काली,
माँ ने, धरा रूप विकराल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे ll
धरती, करती लालो लाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे ll
माँ ने, धरा रूप विकराल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
जय काली, जय काली, जय काली

अण्डा खप्पर, क़र में धारे l
रन चण्डी, मारे किलकारे l
हो डाली, रुण्डन की गल माल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
धरती, करती लालो लाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
माँ ने, धरा रूप विकराल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
जय काली, जय काली, जय काली

काली अपनी, भुजा फैलाए l
भर भर ख़प्पर, पी पी जाए l
हो चलती, मस्त पवन की चाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
धरती, करती लालो लाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
माँ ने, धरा रूप विकराल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
जय काली, जय काली, जय काली

माँ को शान्त न, कोई कर पाए l
देवी देव, सभी घबराए l
हो आए, शिव शंकर महाँकाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
धरती, करती लालो लाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
माँ ने, धरा रूप विकराल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
जय काली, जय काली, जय काली

धरा पे, लेट गए भंडारी l
शिव शँकर ने, बात विचारी l
हो जिहभा, निकली बड़ी विशाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
धरती, करती लालो लाल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
माँ ने, धरा रूप विकराल,
दानव, पकड़ पकड़ के मारे l
जय काली, जय काली, जय काली

जगा के दीपक, मंगल गाया l
पल में शांत, हुई महा माया l
हो वाजे, घंटे और घड़ियाल,
माँ ने, अज़ब ख़ेल दिखलाया,
जय काली, जय काली, जय काली
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मां ने धरा रूप विकराल भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें काली भजन रोमन में-

Read Maa Ne Dhara Roop Vikraal

oṃ jayaṃtī maṃgalā kālī,
bhadrakālī kapālinī l
durgā kṣamā śivā dhātrī,
svāhā svadhā namo’stu‍te ll

sarvamaṅgala māṅgalye, śive sarvārtha sādhike ।
śaraṇye tryambake gaurī, nārāyaṇī namo’stu te ॥

jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī,
mā~ ne, dharā rūpa vikarāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre ll
dharatī, karatī lālo lāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre ll
mā~ ne, dharā rūpa vikarāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī

aṇḍā khappara, ka़ra meṃ dhāre l
rana caṇḍī, māre kilakāre l
ho ḍālī, ruṇḍana kī gala māla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
dharatī, karatī lālo lāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
mā~ ne, dharā rūpa vikarāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī

kālī apanī, bhujā phailāe l
bhara bhara kha़ppara, pī pī jāe l
ho calatī, masta pavana kī cāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
dharatī, karatī lālo lāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
mā~ ne, dharā rūpa vikarāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī

mā~ ko śānta na, koī kara pāe l
devī deva, sabhī ghabarāe l
ho āe, śiva śaṃkara mahā~kāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
dharatī, karatī lālo lāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
mā~ ne, dharā rūpa vikarāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī

dharā pe, leṭa gae bhaṃḍārī l
śiva śa~kara ne, bāta vicārī l
ho jihabhā, nikalī baḍa़ī viśāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
dharatī, karatī lālo lāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
mā~ ne, dharā rūpa vikarāla,
dānava, pakaḍa़ pakaḍa़ ke māre l
jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī

jagā ke dīpaka, maṃgala gāyā l
pala meṃ śāṃta, huī mahā māyā l
ho vāje, ghaṃṭe aura ghaḍa़iyāla,
mā~ ne, aja़ba kha़ela dikhalāyā,
jaya kālī, jaya kālī, jaya kālī
apaloḍara- anilarāmūrtibhopāla

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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