धर्म

नाग देवता की आरती – Naag Devta Ki Aarti

नाग देवता की आरती (Naag Devta Ki Aarti) का गायन नाग देवता को प्रसन्न करता है जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले कहे गए हैं।

भगवान वेदव्यास कृत महाभारत में वर्णन आता है कि इस वंश का आरम्भ कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू से हुआ था। उनके आठ पुत्र थे। नागों के आठ कुल कहे जाते हैं। मान्यता है कि जो भी नाग देवता की आरती करता है या उनका स्मरण आदि करता है उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं तथा उसके मार्ग की सभी बाधाएँ अपने आप ही मिटने लगती हैं। शेषनाग तो स्वयं संपूर्ण पृथ्वी का भार वहन करते हैं। नागदेवता उपासना संकटों का विनाश कर देती है। पढ़ें नाग देवता की आरती हिंदी में–

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आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त,
सभी करते है सेवा॥

मनोकामना पूरण करते,
तन-मन से जो सेवा करते।
आरती कीजे श्री नागदेवता की ,
भूमि का भार वहनकर्ता की॥

भक्तो के संकट हारी की,
आरती कीजे श्री नागदेवता की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की॥

महादेव के गले की शोभा
ग्राम देवता मै है पूजा।
श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा॥

दास ऊकार पर रहती,
क्रपा सहसत्रफनधारी की।
आरती कीजे श्री नागदेवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की॥

आरती कीजे श्री नागदेवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की॥

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॥इति समाप्त॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह आरती (Naag Devta Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें इसे रोमन में–

āratī kīje śrī nāga devatā kī,
bhūmi kā bhāra vahanakartā kī ।
ugra rūpa hai tumhārā devā bhakta,
sabhī karate hai sevā॥

manokāmanā pūraṇa karate,
tana-mana se jo sevā karate ।
āratī kīje śrī nāga devatā kī ,
bhūmi kā bhāra vahanakartā kī॥

bhakto ke saṃkaṭa hārī kī,
āratī kīje śrī nāgadevatā kī ।
āratī kīje śrī nāga devatā kī,
bhūmi kā bhāra vahanakartā kī॥

mahādeva ke gale kī śobhā
grāma devatā mai hai pūjā ।
śrareta varṇa hai tumhārī dhavjā॥

dāsa ūkāra para rahatī,
krapā sahasatraphanadhārī kī ।
āratī kīje śrī nāga devatā kī,
bhūmi kā bhāra vahanakartā kī॥

āratī kīje śrī nāga devatā kī,
bhūmi kā bhāra vahanakartā kī॥

॥iti samāpta॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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