नैना देवी चालीसा – Naina Devi Chalisa
नैना देवी चालीसा के प्रत्येक अक्षर में महाशक्ति का प्राकट्य है। जो व्यक्ति भी भक्तिभाव से नैना देवी चालीसा (Naina Devi Chalisa) का पाठ करता है उसके जीवन में यह शक्ति रूपान्तरण अवश्य लाती है।
माता दीन-दुःखियों के कष्ट का हरण कर उन्हें सुख-सम्पत्ति प्रदान करने वाली हैं। जो भी श्रद्धा से भरकर माता की शरण में जाता है मैया उसकी झोली निश्चित ही भर देती हैं। कोई ऐसी मनोकामना नहीं जो माँ की कृपा से पूर्ण न हो सके। नैना देवी चालीसा का पाठ और माता के दर्शन से सभी कष्ट व क्लेष कट जाते हैं और माता की अनुकम्पा प्राप्त होती है। नवरात्रि के दौरान माता की उपासना का विशेष महत्व है। आइए, पढ़ते हैं नैना देवी चालीसा–
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॥ दोहा ॥
“नेनो बस्ती छवि सकता दुरगे नेना मॅट।
प्रथा काल सिमरन कारू की विख्यात जग हैं॥
सुख वैभव साब आपके चरणो का प्रताप।
ममता अपनी दीजिए माई बालक कारू जाप॥
॥ चालीसा ॥
नमस्कार हैं नेना माता।
दीन दुखी की भाग्य विधाता॥
पार्वती ने दिया अंश हैं।
नेना देवी नाम किया हैं॥
दाबी रही थी पिंडी होकर।
चारटी गये वाहा खादी होकर॥
दूध पिया या थी मुस्काई।
एक दिन एएआई जाना उँसुईया॥
नेना ने देखी सूभ लीला।
अंधेरा ई भगा उछा टीला॥
सांत किया सपने माई जाकर।
मुझे पूज नेना तू आकर॥
मूर्ख पात्र से दूध भज ले।
प्रेम भावना से मुझे जप ले॥
तेरा कुल रोशन कर दुंगगी।
भंडारे तेरे भर दुंगगी॥
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नेना ने आज्ञा मैं मन।
शिव शक्ति का नाम बखाना॥
मुस्काई दिया फलित वार माँ।
ब्रहाम्मद पूजा करवाई गाया॥
ब्रह्मा विष्णु शंकर आये।
भवन आपके पुष्प चडाए॥
पूजन ऐ साब नर नारी।
घाटी बानी शिवालिक प्यारी॥
ज्वाला माँ से प्रेम तिहरा।
जोतो से मिलता हैं सहारा॥
पत्तो बराबर हैं जोते आती।
तुॅंरे भवन हैं चा जाति॥
जिनसे मिटता हैं अंधियारा।
जगमग जगमग मंदिर सारा॥
चिंतापुर्णी टुंरी बहना।
सदा मनती हैं जो कहना॥
माई वेश्नो तुमको जपती।
सदा आपके आदमी माई बस्ती॥
सूभ पर्वत मैं धन्न्य किया हैं।
गुरु गोविंद सिंह भजन किया हिया॥
शक्ति की तलवार तमाई।
जिसने हाहाकार मचाई॥
मुगलो की जिसने ललकार।
गुरु के माई आदमी रूप तिहरा॥
अन्न्याए से आप के लड़ाया।
सबको शक्ति की दी छाया॥
सावा लाख का हवन कराया।
चने लगाया भोग का आधा करना॥
गुरु गोविंद सिंह करी आरती।
आकाश गंगा पुण्य वर्ती॥
नांगल धारा दान तुम्हारा।
शक्ति का सुरूप हैं नीयरा॥
सिंह दुयर् की शोभा बदाए।
जो पापी मैं दरवाजा भगाए॥
चोसत योगञी नाचे डुआरे।
बावन भेरो हैं मतवारे॥
रिद्धि सिद्धि चवर दुलावे।
लंगर आज्ञा प्रशस्त वीर॥
पिंडी रूप प्रसाद चदवे।
से नीयन सूभ दर्शन प्रशस्त॥
जेकार प्रहार उछा लागे।
भाव भक्ति का आदमी माई जागे॥
ढोल बाजे ढाप्प सहनाई।
डमरू बधाई चएने गये॥
अस्थमा मैं ख़ुसीयो माई फूलो।
कन्या रूप माई दर्शन देती॥
दान पूनिए अपनो से लेती।
सावन माई सखियाँ झूलो गाया॥
तन आदमी धन तुमको नुचावर।
मंगु कुछ झोली फेलकर॥
मोहमाया पूर्वोत्तर डाला फेरा।
मुझको मॅट पूर्वोत्तर घेरा विपद॥
काम क्रोध की एकदिवसीय चादर।
बेता हू नेया मैं डुबोकर॥
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर नैना देवी चालीसा (Naina Devi Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें नैना देवी चालीसा रोमन में–
॥ dohā ॥
“neno bastī chavi sakatā durage nenā maॅṭa।
prathā kāla simarana kārū kī vikhyāta jaga haiṃ॥
sukha vaibhava sāba āpake caraṇo kā pratāpa।
mamatā apanī dījie māī bālaka kārū jāpa॥
॥ cālīsā ॥
namaskāra haiṃ nenā mātā|
dīna dukhī kī bhāgya vidhātā॥
pārvatī ne diyā aṃśa haiṃ।
nenā devī nāma kiyā haiṃ॥
dābī rahī thī piṃḍī hokara।
cāraṭī gaye vāhā khādī hokara॥
dūdha piyā yā thī muskāī॥
eka dina eeāī jānā u~suīyā॥
nenā ne dekhī sūbha līlā।
aṃdherā ī bhagā uchā ṭīlā॥
sāṃta kiyā sapane māī jākara।
mujhe pūja nenā tū ākara॥
mūrkha pātra se dūdha bhaja le।
prema bhāvanā se mujhe japa le॥
terā kula rośana kara duṃgagī।
bhaṃḍāre tere bhara duṃgagī॥
nenā ne ājñā maiṃ mana।
śiva śakti kā nāma bakhānā॥
muskāī diyā phalita vāra mā~।
brahāmmada pūjā karavāī gāyā॥
brahmamā viṣṇu śaṃkara āye।
bhavana āpake puṣpa caḍāe॥
pūjana ai sāba nara nārī।
ghāṭī bānī śivālika pyārī॥
jvālā mā~ se prema tiharā।
joto se milatā haiṃ sahārā॥
patto barābara haiṃ jote ātī।
tuॅṃre bhavana haiṃ cā jāti॥
jinase miṭatā haiṃ aṃdhiyārā।
jagamaga jagamaga maṃdira sārā॥
ciṃtāpurṇī ṭuṃrī bahanā।
sadā manatī haiṃ jo kahanā॥
māī veśno tumako japatī।
sadā āpake ādamī māī bastī॥
sūbha parvata maiṃ dhannya kiyā haiṃ।
guru goviṃda siṃha bhajana kiyā hiyā॥
śakti kī talavāra tamāī।
jisane hāhākāra macāī॥
mugalo kī jisane lalakāra।
guru ke māī ādamī rūpa tiharā॥
annyāe se āpa ke laḍa़āyā।
sabako śakti kī dī chāyā॥
sāvā lākha kā havana karāyā।
cane lagāyā bhoga kā ādhā karanā॥
guru goviṃda siṃha karī āratī।
ākāśa gaṃgā puṇya vartī॥
nāṃgala dhārā dāna tumhārā।
śakti kā surūpa haiṃ nīyarā॥
siṃha duyar kī śobhā badāe।
jo pāpī maiṃ daravājā bhagāe॥
cosata yogañī nāce ḍuāre।
bāvana bhero haiṃ matavāre॥
riddhi siddhi cavara dulāve।
laṃgara ājñā praśasta vīra॥
piṃḍī rūpa prasāda cadave।
se nīyana sūbha darśana praśasta॥
jekāra prahāra uchā lāge।
bhāva bhakti kā ādamī māī jāge॥
ḍhola bāje ḍhāppa sahanāī।
ḍamarū badhāī caene gaye॥
asthamā maiṃ kha़usīyo māī phūlo।
kanyā rūpa māī darśana detī॥
dāna pūnie apano se letī।
sāvana māī sakhiyā~ jhūlo gāyā॥
tana ādamī dhana tumako nucāvara।
maṃgu kucha jholī phelakara॥
mohamāyā pūrvottara ḍālā pherā।
mujhako maॅṭa pūrvottara gherā vipada॥
kāma krodha kī ekadivasīya cādara।
betā hū neyā maiṃ ḍubokara॥