नवदुर्गा – Navdurga
नवदुर्गा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। नवदुर्गा (Navdurga), जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, माँ दुर्गा के नौ रूपों को कहा जाता है। माँ के इन नौ रूपों की पूजा विशेषतः नवरात्रि (Navratri) के दौरान की जाती है।
प्रत्येक देवी का अपना भिन्न नाम, मंत्र, कथा, स्वरूप और वैशिष्ट्य है। प्रत्येक देवी की पूजा का विशेष महत्व है और उससे भिन्न-भिन्न फलों की प्राप्त होती है। विस्तार से नवदुर्गा के बारे में पढ़ें–
पढ़ें “नवदुर्गा” हिंदी में
माँ शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के प्रथम दिन की जाती है। नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं और वृषभ पर विराजित हैं।
माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी का है। यहाँ ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप की चारिणी तप का आचरण करने वाली।
माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। नव दुर्गाओं में तृतीय चंद्रघंटा माता शौर्यरूपा हैं और शत्रुओं का मर्दन करने वाली हैं।
माँ कूष्माण्डा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। नव दुर्गाओं में चतुर्थ कूष्माण्डा माता की कृपा से आयु, यश, बल और आरोग्य मिलता है।
माँ दुर्गा जी के पाँचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। आइए, जानते हैं कि माँ के इस स्वरूप का नाम स्कन्द माता क्यों है और इनकी क्या कथा है।
माँ कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छटवें दिन की जाती है। नव दुर्गाओं में षष्ठ कात्यायनी माता भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाली हैं।
माँ दुर्गा जी की सातवीं शक्ति कालरात्रि माता के नाम से जानी जाती है। इनके शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है
माँ दुर्गा जी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी माता है। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शङ्ख, चन्द्र और कुन्द के फूल से दी गयी है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गयी है-‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी’।
माँ दुर्गा जी की नवीं शक्तिका नाम सिद्धिदात्री माता है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियाँ होती हैं।