धर्म

पांडुरंग अष्टक – Pandurang Ashtak

“पांडुरंग अष्टक” श्री शंकराचार्य द्वारा रचित अद्भुत रचना है। इसके आठों छंद बहुत ही मधुर हैं, साथ ही अपने अंदर अत्यन्त भक्तिभाव से परिपूर्ण हैं। पांडुरंग अष्टक भगवान श्री कृष्ण के पांडुरंग स्वरूप को समर्पित स्तोत्र है। जो विशुद्ध हृदय और भक्ति से भरकर नित्य पांडुरंग अष्टक का पाठ करता है, उसके ऊपर सहज ही भगवान श्रीकृष्ण की अनुकंपा बरसने लगती है। पढ़ें पांडुरंगाष्टकम्-

महायोगपीठे तटे भीमरथ्या
वरं पुण्डरीकाय दातुं मुनीन्द्रैः।
समागत्य तिष्ठन्तमानन्दकन्दं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

तडिद्वाससं नीलमेघावभासं
रमामन्दिरं सुन्दरं चित्प्रकाशम्।
वरं त्विष्टिकायां समन्यस्तपादं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

प्रमाणं भवाब्धेरिदं मामकानां
नितम्बः कराभ्यां धृतो येन तस्मात्।
विधातुर्वसत्यै धृतो नाभिकोशः
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

स्फुरत्कौस्तुभालङ्कृतं कण्ठदेशे
श्रिया जुष्टकेयूरकं श्रीनिवासम्।
शिवं शान्तमीड्यं वरं लोकपालं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

शरच्चन्द्रबिम्बाननं चारुहासं
लसत्कुण्डलाक्रान्तगण्डस्थलाङ्गम्।
जपारागबिम्बाधरं कञ्जनेत्रं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

किरीटोज्ज्वलत्सर्वदिक्प्रान्तभागं
सुरैरर्चितं दिव्यरत्नैरनर्घैः।
त्रिभङ्गाकृतिं बर्हमाल्यावतंसं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

विभुं वेणुनादं चरन्तं दुरन्तं
स्वयं लीलया गोपवेषं दधानम्।
गवां वृन्दकानन्दनम् चारुहासं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

अजं रुक्मिणीप्राणसञ्जीवनं तं
परं धाम कैवल्यमेकं तुरीयम्।
प्रसन्नं प्रपन्नार्तिहं देवदेवं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम्॥

॥ इति श्री परम पूज्य शंकराचार्यविरचितं श्रीपांडुरंगाष्टकं संपूर्णं ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह पांडुरंग अष्टक (Pandurang Ashtak) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें पांडुरंगाष्टकम् रोमन में–

Shri Pandurang Ashtakam

mahāyogapīṭhe taṭe bhīmarathyā
varaṃ puṇḍarīkāya dātuṃ munīndraiḥ।
samāgatya tiṣṭhantamānandakandaṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

taḍidvāsasaṃ nīlameghāvabhāsaṃ
ramāmandiraṃ sundaraṃ citprakāśam।
varaṃ tviṣṭikāyāṃ samanyastapādaṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

pramāṇaṃ bhavābdheridaṃ māmakānāṃ
nitambaḥ karābhyāṃ dhṛto yena tasmāt।
vidhāturvasatyai dhṛto nābhikośaḥ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

sphuratkaustubhālaṅkṛtaṃ kaṇṭhadeśe
śriyā juṣṭakeyūrakaṃ śrīnivāsam।
śivaṃ śāntamīḍyaṃ varaṃ lokapālaṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

śaraccandrabimbānanaṃ cāruhāsaṃ
lasatkuṇḍalākrāntagaṇḍasthalāṅgam।
japārāgabimbādharaṃ kañjanetraṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

kirīṭojjvalatsarvadikprāntabhāgaṃ
surairarcitaṃ divyaratnairanarghaiḥ।
tribhaṅgākṛtiṃ barhamālyāvataṃsaṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

vibhuṃ veṇunādaṃ carantaṃ durantaṃ
svayaṃ līlayā gopaveṣaṃ dadhānam।
gavāṃ vṛndakānandanam cāruhāsaṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

ajaṃ rukmiṇīprāṇasañjīvanaṃ taṃ
paraṃ dhāma kaivalyamekaṃ turīyam।
prasannaṃ prapannārtihaṃ devadevaṃ
parabrahmaliṅgaṃ bhaje pāṇḍuraṅgam॥

॥ iti śrī parama pūjya śaṃkarācāryaviracitaṃ śrīpāṃḍuraṃgāṣṭakaṃ saṃpūrṇaṃ ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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