महाभारत का पौलोम पर्व – Mahabharat Pauloma Parva in Hindi
पौलोम पर्व वस्तुतः महाभारत के प्रथम पर्व आदिपर्व के अन्तर्गत आता है। यह आदि पर्व का चौथा उपपर्व है। इसमें कुल 9 अध्याय हैं। महाभारत के अन्य पर्व तथा अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया यहाँ देखें – महाभारत की कहानी।
पौलोम पर्व में जनमेजय के सर्प यज्ञ के कारणों की विवेचना और इसमें सर्पों के नाश की कथा आती है। साथ ही च्यवन और रुरु का महत्वपूर्ण घटनाक्रम भी पौलोम पर्व में वर्णित है। महाभारत के इस पर्व में आयी रुरु और प्रमद्वरा की कहानी अहिंसा के महत्व को दर्शाती है। इसमें बताया गया है कि अहिंसा सर्वप्रथम है। सत्य, धैर्य आदि अन्य सद्गुण भी अहिंसा के पश्चात् ही आते हैं। महर्षि व्यास उदाहरणों के द्वारा इस बात को स्पष्ट करते हैं। पढ़ें महाभारत के पौलोम पर्व के सभी अध्याय हिंदी में–
- चौथा अध्याय – कथा प्रवेश
- पाँचवाँ अध्याय – पुलोमा और अग्नि का संवाद
- छठा अध्याय – भृग का अग्निदेव को शाप
- सातवाँ ध्याय – अग्नि के शाप का मोचन
- आठवाँ अध्याय – प्रमद्वरा को सर्पदंश
- नौवाँ अध्याय – प्रमद्वरा का जीवित होना
- दसवाँ अध्याय – डुण्डुभ की प्राण-रक्षा
- ग्यारहवाँ अध्याय – डुण्डुभ की आत्मकथा व उपदेश
- बारहवाँ अध्याय – रुरु और सर्प-यज्ञ की कथा
यहाँ यह बताना उचित होगा कि महाभारत का यह पहला उपपर्व है, जिसमें एक से अधिक अध्याय हैं। अध्यायों की गणना प्रथम अध्याय से आरंभ होकर अंत तक चलती रहती है अर्थात् हर पर्व या उपपर्व के अध्याय प्रथम से आरंभ न होकर उसके आगे आरंभ होते हैं, जहाँ पिछले में समाप्त हुए थे।