धर्म

रावण की आरती – Ravan Ki Aarti

रावण की आरती (Ravan Ki Aarti) देश के कुछ क्षेत्रों में उस समय गाई जाती है जब विजयदशमी के दिन रावण-दहन किया जाता है।

इसमें कोई सन्देह नहीं कि रावण में बहुत-से गुण भी थे किंतु अहंकार रूपी अवगुण ने उसके सभी गुणों को छुपा दिया। रावण की आरती को गाने की प्रथा यह बताती है कि इस देश में सभी के गुणों का सम्मान किया जाता है, फिर चाहे वह शत्रु या द्रोही ही क्यों न हो। वस्तुतः हम सभी से कुछ-न-कुछ सीख सकते हैं। भगवान श्री राम ने भी छोटे भाई लक्ष्मण को रावण से शिक्षा लेने के लिए भेजा था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार लंकेश रावण का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था और वह परम शिव भक्त था। जब दशहरे के दिन रावण का दहन किया जाता है तो उक्त सभी गुणों का स्मरण किया जाता है तथा उसके दोषों से दूर रहने का संदेश भी दिया जाता है। पढ़ें रावण की आरती हिंदी में–

आरती कीजे दशानन जी की। 
लंकापति श्री रावण जी की॥

जाके बल से त्रिलोक डरता ।
सुमिरो जो भूखा न मरता॥

कैकसी पुत्र महाबल दायी।
बना दे जो पर्वत को रायी॥

संतो को सदा तुमने मारा।
पृथ्वी का कुछ बोच उतारा॥

बहन की नाक का बदला लीन्हा।
सीता को अगवा कर दीन्हा॥

राम ने धमकी कई भिजवाई।
तुमने सबकी सब ठुकराई॥

सीता की खोज में वानर आया।
पूत तुम्हारा पकड़ उसे लाया॥

तेल में उसकी पूछ जलाई।
फिर पीछे से आग लगाई॥

वानर बोमा बचाए हलका।
उछल कूद में जल गयी लंका॥

फिर भी तुम हिम्मत नही हारी।
लंका इक दिन में बना दारी॥

बिचड़ा पुत प्राणों को देके।
फिर भी न युद्ध में घुटने टेके॥

राम की सेना में आगे आयो।
कितनो को तुम मार गिरायो॥

भ्राता ने जब गद्दारी दिखाई।
वीरगति तब तुमने पाई॥

यदि न करते तुम अहंकार।
गाता यश तुम्हारा ये संसार॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर रावण की आरती ( Ravan Ki Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें रावण की आरती रोमन में–

āratī kīje daśānana jī kī।
laṃkāpati śrī rāvaṇa jī kī॥

jāke bala se triloka ḍaratā ।
sumiro jo bhūkhā na maratā॥

kaikasī putra mahābala dāyī।
banā de jo parvata ko rāyī॥

saṃto ko sadā tumane mārā।
pṛthvī kā kucha boca utārā॥

bahana kī nāka kā badalā līnhā।
sītā ko agavā kara dīnhā॥

rāma ne dhamakī kaī bhijavāī।
tumane sabakī saba ṭhukarāī॥

sītā kī khoja meṃ vānara āyā।
pūta tumhārā pakaड़ use lāyā॥

tela meṃ usakī pūcha jalāī।
phira pīche se āga lagāī॥

vānara bomā bacāe halakā।
uchala kūda meṃ jala gayī laṃkā॥

phira bhī tuma himmata nahī hārī।
laṃkā ika dina meṃ banā dārī॥

bicaड़ā puta prāṇoṃ ko deke।
phira bhī na yuddha meṃ ghuṭane ṭeke॥

rāma kī senā meṃ āge āyo।
kitano ko tuma māra girāyo॥

bhrātā ne jaba gaddārī dikhāī।
vīragati taba tumane pāī॥

yadi na karate tuma ahaṃkāra।
gātā yaśa tumhārā ye saṃsāra॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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