महागौरी की आरती – Mahagauri Ki Aarti
महागौरी की आरती नवरात्रि के पावन पर्व में अवश्य करनी चाहिएI माँ दुर्गा को समर्पित नवरात्रि के त्योहार में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती हैI अष्टमी के दिन माँ की पूजा अर्चना के बाद महागौरी की आरती (Mahagauri Ki Aarti) की जाती हैI दुर्गा अष्टमी के दिन यदि भक्तों द्वारा विधिवत पूजा के बाद महागौरी माता की आरती की जाए तो उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं तथा उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैंI
महागौरी की आरती मनवांछित फलदायनी, शुभकारी और अक्षय पुण्य दात्री हैI कहा जाता है नवरात्रि पूजा में महागौरी की आरती और मन्त्रों का जाप भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी होता हैI पूजा के पश्चात् माँ महागौरी की आरती कर्पूर अथवा गाय के घी से प्रज्वलित दीपक से करनी चाहिए तथा माँ को नारियल का भोग लगाना चाहिएI महागौरी की आरती का पाठ करें। गौर वर्ण वाली माँ महागौरी की आरती से जातकों के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपदा, पद-प्रतिष्ठा हमेशा बनी रहती हैI
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जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
महागौरी स्तोत्र
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
महागौरी कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
महागौरी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महागौरी ध्यान
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर महागौरी की आरती ( Mahagauri Ki Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें महागौरी की आरती रोमन में–
Read Mahagauri Ki Aarti
jaya mahāgaurī jagata kī māyā।
jaya umā bhavānī jaya mahāmāyā॥
haridvāra kanakhala ke pāsā।
mahāgaurī terā vahā nivāsa॥
candrakalī aura mamatā ambe।
jaya śakti jaya jaya mā~ jagadambe॥
bhīmā devī vimalā mātā।
kauśika devī jaga vikhyatā॥
himācala ke ghara gaurī rūpa terā।
mahākālī durgā hai svarūpa terā॥
satī (sata) havana kuṃḍa meṃ thā jalāyā।
usī dhueṃ ne rūpa kālī banāyā॥
banā dharma siṃha jo savārī meṃ āyā।
to śaṃkara ne triśūla apanā dikhāyā॥
tabhī mā~ ne mahāgaurī nāma pāyā।
śaraṇa ānevāle kā saṃkaṭa miṭāyā॥
śanivāra ko terī pūjā jo karatā।
mā~ bigaड़ā huā kāma usakā sudharatā॥
bhakta bolo to soca tuma kyā rahe ho।
mahāgaurī mā~ terī haradama hī jaya ho॥
mahāgaurī stotra
sarvasaṅkaṭa hantrī tvaṃhi dhana aiśvarya pradāyanīm।
jñānadā caturvedamayī mahāgaurī praṇamāmyaham॥
sukha śāntidātrī dhana dhānya pradāyanīm।
ḍamarūvādya priyā adyā mahāgaurī praṇamāmyaham॥
trailokyamaṅgala tvaṃhi tāpatraya hāriṇīm।
vadadam caitanyamayī mahāgaurī praṇamāmyaham॥
mahāgaurī kavaca
oṃkāraḥ pātu śīrṣo mā~, hīṃ bījam mā~, hṛdayo।
klīṃ bījam sadāpātu nabho gṛho ca pādayo॥
lalāṭam karṇo huṃ bījam pātu mahāgaurī mā~ netram ghrāṇo।
kapota cibuko phaṭ pātu svāhā mā~ sarvavadano॥
mahāgaurī stuti
yā devī sarvabhūteṣu mā~ mahāgaurī rūpeṇa saṃsthitā।
namastasyai namastasyai namastasyai namo namaḥ॥
mahāgaurī dhyāna
vande vāñchita kāmārthe candrārdhakṛtaśekharām।
siṃhārūḍhā caturbhujā mahāgaurī yaśasvinīm॥
pūrṇandu nibhām gaurī somacakrasthitām aṣṭamam mahāgaurī trinetrām।
varābhītikarāṃ triśūla ḍamarūdharāṃ mahāgaurī bhajem॥
paṭāmbara paridhānāṃ mṛduhāsyā nānālaṅkāra bhūṣitām।
mañjīra, hāra, keyūra, kiṅkiṇi, ratnakuṇḍala maṇḍitām॥
praphulla vandanā pallavādharāṃ kānta kapolām trailokya mohanam।
kamanīyāṃ lāvaṇyāṃ mṛṇālāṃ candana gandhaliptām॥