शनि देव की आरती – Shani Dev Ki Aarti
शनि देव की आरती (Shani Dev Ki Aarti) सभी पाप-ताप और संकटों का निवारण करने वाली है। जो भी विघ्न-बाधाएँ व्यक्ति के जीवन में आती हैं, वे इसे गाने से अपने आप ही दूर हो जाती हैं। शनिदेव न्याय के देवता हैं। नवग्रहों में वे न्यायाधीश कहे जाते हैं।
उनका कार्य प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देना है। इसलिए जो सत्कर्म करता है और शनि देव की नित्य आराधना करता है, उसकी बिगड़ी बन जाती है। ऐसे व्यक्ति को शनिदेव का आशीष सहज ही प्राप्त हो जाता है। पढ़ें शनि देव की आरती–
जय जय शनिदेव महाराज,
जग के संकट हरने वाले।
तुम सूर्यपुत्र बलधारी,
भय मानत दुनिया सारी जी।
साधत हो दुर्लभ काज॥
तुम धर्मराज के भाई,
जम क्रूरता पाई जी।
घन गर्जन करत आवाज॥
तुम नील देव विकरारी,
भैंसा पर करत सवारी जी।
कर लोह गदा रहें साज॥
तुम भूपति रंक बनाओ,
निर्धन सिर छत्र धराओं जी।
समरथ हो करन मम काज॥
राजा को राज मिटाओ,
जिन भगतों फेर दिवायों जी।
जग में ह्वै गयी जै जैकार ॥
तु हो स्वामी, हम चरनन
सिर करत नमामि जी।
पुरवो जन जन की आस॥
यह पूजा देव तिहारी,
हम करत दिन भाव ते पारी जी।
अंगीकृत करो कृपालु जी॥
प्रभु सुधि दृष्टि निहारौ,
क्षमिये अपराध हमारो जी।
है नाथ तिहारे ही लाज॥
हम बहुत विपत्ति घबराए,
शरनागति तुमरी आए जी।
प्रभु सिद्ध करो सब काज॥
यह विनय कर जोर के
भक्त सुनावें जी।
सुर देवन के सिर ताज॥
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शनि देव की आरती की आरती शनि-उपासना के अन्त में की जाती है। ऐसा करने से पूजन के दौरान हुई सभी गलतियों का परिहार हो जाता है।
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शनि देव की आरती (Shani Dev Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें शनि देव की आरती रोमन में–
Read Shani Dev Ki Aarti
jaya jaya śanideva mahārāja,
jaga ke saṃkaṭa harane vāle।
tuma sūryaputra baladhārī,
bhaya mānata duniyā sārī jī।
sādhata ho durlabha kāja॥
tuma dharmarāja ke bhāī,
jama krūratā pāī jī।
ghana garjana karata āvāja॥
tuma nīla deva vikarārī,
bhaiṃsā para karata savārī jī।
kara loha gadā raheṃ sāja॥
tuma bhūpati raṃka banāo,
nirdhana sira chatra dharāoṃ jī।
samaratha ho karana mama kāja॥
rājā ko rāja miṭāo,
jina bhagatoṃ phera divāyoṃ jī।
jaga meṃ hvai gayī jai jaikāra ॥
tu ho svāmī, hama caranana
sira karata namāmi jī।
puravo jana jana kī āsa॥
yaha pūjā deva tihārī,
hama karata dina bhāva te pārī jī।
aṃgīkṛta karo kṛpālu jī॥
prabhu sudhi dṛṣṭi nihārau,
kṣamiye aparādha hamāro jī।
hai nātha tihāre hī lāja॥
hama bahuta vipatti ghabarāe,
śaranāgati tumarī āe jī।
prabhu siddha karo saba kāja॥
yaha vinaya kara jora ke,
bhakta sunāveṃ jī।
sura devana ke sira tāja॥
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