ब्रह्मा जी की आरती – Brahma Ji Ki Aarti
ब्रह्मा जी की आरती त्रिदेवों में प्रथम माने जाने वाले ब्रह्मा जी को समर्पित है। ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता हैं। वे सृष्टिकर्ता हैं। भगवान विष्णु जिस सृष्टि का पालन करते हैं और भगवान शिव जिसका नाश करते हैं, उसे बनाने वाले ब्रह्मा जी हैं। उनके पूजन के बिना भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा पूर्ण नहीं होती है। ब्रह्मा जी की आरती (Brahma Ji Ki Aarti) बल, बुद्धि और ज्ञान देने वाली है। पढ़ें यह आरती–
पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जिनके कछु और आधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवारे हो।
सब भाँति सदा सुखदायक हो,
दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।
प्रतिपाल करो सिगरे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो।
भुलि हैं हम तो तुमको,
तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।
उपकारन को कछु अन्त नहीं,
छिन ही छिन जो विस्तारे हो।
महाराज महा महिमा तुम्हरी,
मुझसे बिरले बुधवारे हो।
शुभ शान्ति निकेतन प्रेमनिधि,
मन मन्दिर के उजियारे हो।
इस जीवन के तुम जीवन हो,
इन प्राणन के तुम प्यारे हो।
तुम सों प्रभु पाय प्रताप हरि,
केहि के अब और सहारे हो ।
कृपया ब्रह्मा जी की चालीसा पढ़ने के लिए यहाँ जाये – ब्रह्मा चालीसा।
ब्रह्मा जी का पूजन तभी पूर्ण माना जाता है, जब अन्त में उनकी आरती की जाए। अतः यह बहुत आवश्यक है।