श्री देवी जी की आरती – Shri Devi Ji Ki Aarti
श्री देवी जी की आरती (Shri Devi Ji Ki Aarti) वस्तुतः उस मातृ-तत्त्व की आरती है जो संसार का मूल कारण है। वह आदि शक्ति ही समूचे ब्रह्माण्ड के रूप में उद्भासित हो रही है। माता का स्वरूप ही ममतापूर्ण है। वह सदैव ही अपने भक्तों का रक्षण करती हैं और उन्हें हर बाधाओं से बचाती हैं। श्री देवी जी की आरती भक्तिपूर्ण चित्त से जो भी व्यक्ति करता है उसके सर पर माता का हाथ हमेशा बना रहता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में कोई कमी नहीं होती तथा मार्ग में आने वाली सभी अड़चनों का निवारण भी स्वतः ही हो जाता है। पाठ करें श्री देवी जी की आरती का–
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जगजननी जय! जय!! (मा! जगजननी जय! जय!!)।
भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय! जय॥
जगजननी जय जय…
तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन सुन्दर पर-शिव सुर-भूपा॥
जगजननी जय जय…
आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी।
अमल अनन्त अगोचर अज आनँदराशी॥
जगजननी जय जय…
अविकारी, अघहारी, अकल, कलाधारी।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि, हर सँहारकारी॥
जगजननी जय जय…
तू विधिवधू, रमा, तू उमा, महामाया।
मूल प्रकृति विद्या तू, तू जननी, जाया॥
जगजननी जय जय…
राम, कृष्ण तू, सीता, व्रजरानी राधा।
तू वांछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा॥
जगजननी जय जय…
दश विद्या, नव दुर्गा, नानाशस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव नव रूप धरा॥
जगजननी जय जय…
तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥
जगजननी जय जय…
सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या तू शोभाऽऽधारा।
विवसन विकट-सरुपा, प्रलयमयी धारा॥
जगजननी जय जय…
तू ही स्नेह-सुधामयि, तू अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि-तना॥
जगजननी जय जय…
मूलाधारनिवासिनि, इह-पर-सिद्धिप्रदे।
कालातीता काली, कमला तू वरदे॥
जगजननी जय जय…
शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी।
भेदप्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥
जगजननी जय जय…
हम अति दीन दुखी मा! विपत-जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥
जगजननी जय जय…
निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयि! चरण-शरण दीजै॥
जगजननी जय जय…
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर श्री देवी जी की आरती (Shri Devi Ji Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें श्री देवी जी की आरती रोमन में–
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jagajananī jaya! jaya!! (mā! jagajananī jaya! jaya!!)।
bhayahāriṇi, bhavatāriṇi, bhavabhāmini jaya! jaya॥
jagajananī jaya jaya…
tū hī sata-cita-sukhamaya śuddha brahmarūpā।
satya sanātana sundara para-śiva sura-bhūpā॥
jagajananī jaya jaya…
ādi anādi anāmaya avicala avināśī।
amala ananta agocara aja āna~darāśī॥
jagajananī jaya jaya…
avikārī, aghahārī, akala, kalādhārī।
karttā vidhi, bharttā hari, hara sa~hārakārī॥
jagajananī jaya jaya…
tū vidhivadhū, ramā, tū umā, mahāmāyā।
mūla prakṛti vidyā tū, tū jananī, jāyā॥
jagajananī jaya jaya…
rāma, kṛṣṇa tū, sītā, vrajarānī rādhā।
tū vāṃchākalpadruma, hāriṇi saba bādhā॥
jagajananī jaya jaya…
daśa vidyā, nava durgā, nānāśastrakarā।
aṣṭamātṛkā, yogini, nava nava rūpa dharā॥
jagajananī jaya jaya…
tū paradhāmanivāsini, mahāvilāsini tū।
tū hī śmaśānavihāriṇi, tāṇḍavalāsini tū॥
jagajananī jaya jaya…
sura-muni-mohini saumyā tū śobhā”dhārā।
vivasana vikaṭa-sarupā, pralayamayī dhārā॥
jagajananī jaya jaya…
tū hī sneha-sudhāmayi, tū ati garalamanā।
ratnavibhūṣita tū hī, tū hī asthi-tanā॥
jagajananī jaya jaya…
mūlādhāranivāsini, iha-para-siddhiprade।
kālātītā kālī, kamalā tū varade॥
jagajananī jaya jaya…
śakti śaktidhara tū hī nitya abhedamayī।
bhedapradarśini vāṇī vimale! vedatrayī॥
॥ jagajananī jaya jaya..॥
hama ati dīna dukhī mā! vipata-jāla ghere।
haiṃ kapūta ati kapaṭī, para bālaka tere॥
jagajananī jaya jaya…
nija svabhāvavaśa jananī! dayādṛṣṭi kījai।
karuṇā kara karuṇāmayi! caraṇa-śaraṇa dījai॥
jagajananī jaya jaya…