सिद्धिदात्री माता की आरती – Siddhidatri Mata Ki Aarti
सिद्धिदात्री माता की आरती भक्तों के लिए मनवांछित फलदायिनी और मोक्षदायिनी होती है। कहते हैं मां सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Ki Aarti) करने से भक्तों के समस्त कष्टों का निवारण होता है, उन्हें हर भय और संताप से मुक्ति मिलती है तथा उनके हर तरह के रोग दोष और पीड़ाओं का अंत हो जाता है।
नवरात्रि के पावन पर्व में नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित किया गया है। दुर्गा नवमी के दिन विधिपूर्वक पूजा और हवन के बाद सिद्धिदात्री माता की आरती (Siddhidatri Mata Ki Aarti) और बीज मंत्रों का जाप करने से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन में आने वाली अनहोनी से भी रक्षा होती है। सिद्धिदात्री माता की आरती हमारी बुराइयों, दुर्बलताओं एवं नकारात्मकता का नाश करके हमारे सद्गुणों का विकास करती है। सिद्धिदात्री माता की आरती पढ़ें जो आठों सिद्धियाँ सरलता से अपने भक्तों को प्रदान करती हैं।
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जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
मां सिद्धिदात्री की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
मां सिद्धिदात्री की प्रार्थना
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सिद्धिदात्री माता की आरती (Siddhidatri Mata Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें सिद्धिदात्री माता की आरती रोमन में–
Read Siddhidatri Mata Ki Aarti
jaya siddhidātrī māṃ tū siddhi kī dātā।
tū bhaktoṃ kī rakṣaka tū dāsoṃ kī mātā॥
terā nāma lete hī milatī hai siddhi।
tere nāma se mana kī hotī hai śuddhi॥
kaṭhina kāma siddha karatī ho tuma।
jabhī hātha sevaka ke sira dharatī ho tuma॥
terī pūjā meṃ to nā koī vidhi hai।
tū jagadaṃbe dātī tū sarva siddhi hai॥
ravivāra ko terā sumirana kare jo।
terī mūrti ko hī mana meṃ dhare jo॥
tū saba kāja usake karatī hai pūre।
kabhī kāma usake rahe nā adhūre॥
tumhārī dayā aura tumhārī yaha māyā।
rakhe jisake sira para maiyā apanī chāyā॥
sarva siddhi dātī vaha hai bhāgyaśālī।
jo hai tere dara kā hī aṃbe savālī॥
himācala hai parvata jahāṃ vāsa terā।
mahā naṃdā maṃdira meṃ hai vāsa terā॥
mujhe āsarā hai tumhārā hī mātā।
bhakti hai savālī tū jisakī dātā॥
māṃ siddhidātrī kī stuti
yā devī sarvabhūteṣu mā~ siddhidātrī rūpeṇa saṃsthitā।
māṃ siddhidātrī kī prārthanā
siddha gandharva yakṣādyairasurairamarairapi।
sevyamānā sadā bhūyāt siddhidā siddhidāyinī।
māṃ siddhidātrī bīja maṃtra
hrīṃ klīṃ aiṃ siddhaye nama:।