स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (26 अक्टूबर, 1894)

(स्वामी विवेकानंद का कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखा गया पत्र)

वाशिंगटन,
द्वारा श्रीमती ई. टोटेन,
१७०८, डब्ल्यू. आई. स्ट्रीट,
२६ (?) अक्टूबर १८९४

प्रिय बहन,

लम्बी चुप्पी के लिए क्षमा करना; किन्तु मैं मदर चर्च को नियमपूर्वक लिखता रहा हूँ। मुझे विश्वास है, तुम सभी इस मनोहर शरत् ऋतु का आनन्दपूर्वक उपभोग कर रहे हो। मैं बाल्टिमोर और वाशिंगटन का अपूर्व आनन्द ले रहा हूँ।

यहाँ से फिलाडेलफिया जाऊँगा। मेरा ख्याल था, कुमारी मेरी फिलाडेलफिया में हैं, इसीलिए उनका पता-ठिकाना माँगा था। किन्तु, जैसा कि मदर चर्च कहती हैं – वह फिलाडेलफिया के पास किसी दूसरी जगह रहती हैं। मैं नहीं चाहता कि वह कष्ट उठाकर मुझसे मिलने आएँ।

जिस महिला के यहाँ मैं टिका हुआ हूँ, वह कुमारी ह्वो की भतीजी हैं – नाम है श्रीमती टोटेन। एक सप्ताह से अधिक दिनों तक मैं उनका अतिथि रहूँगा। तुम मुझे उनके पते पर पत्र लिख सकती हो।

मैं इस जाड़े में – जनवरी या फरवरी तक – इंग्लैण्ड जाना चाहता हूँ। लन्दन की एक महिला ने – जिनके यहाँ मेरे मित्र ठहरे हैं – मुझे अपने घर पर ठहरने का निमन्त्रण भेजा है और उधर भारत से वे हर रोज प्रेरित कर रहे हैं – लौट आइए।

कार्टून में पित्तू कैसा लगा? किसी को मत दिखलाना। यह अच्छा नहीं है कि हम पित्तू का इस तरह मखौल उड़ाएँ।

तुम्हारे कुशल-संवाद सदा जानना चाहता हूँ। किन्तु, अपने पत्रों को जरा स्पष्ट और साफ लिखने की ओर ध्यान दो! इस परामर्श से नाराज मत होना।

तुम्हारा प्रिय भाई,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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