स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखित (26 नवम्बर, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखा गया पत्र)

पोर्ट टिवफिक,
२६ नवम्बर, १९००

प्रिय ‘जो’,

स्टीमर आने में देरी थी, अतः मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ। भगवान् को धन्यवाद है कि आज सुबह उसने पोर्ट सईद बन्दरगाह पर नहर में प्रवेश किया। इसका मतलब है कि यदि सब कुछ ठीक रहा, तो यह शाम को किसी समय पहुँचेगा।

वाकई ये दो दिन एक प्रकार की अकेलेपन की क़ैद जैसे रहे हैं; और मैं अपने हृदय को दिलासा दिये हुए हूँ।

कहावत है कि परिवर्तन मन को बहुत भाता है। श्री गेज के एजेन्ट ने मुझे सब गलत निर्देश दिये। पहले तो यहाँ कोई भी मुझे कुछ बताने के लिए नहींं था, स्वागत करना तो अलग रहा। दूसरे मुझे यह नहीं बताया गया था कि स्टीमर के लिए मुझे अपना गेजवाला टिकट एजेन्ट के दफ्तर में बदलना पड़ेगा और यह कि वह दफ़्तर स्वेज में है, यहाँ नहीं।

इसलिए यह एक तरह से अच्छा ही था कि स्टीमर विलम्ब से आनेवाला था। अतः मैं स्टीमर के एजेन्ट से मिलने गया और उसने मुझे गेज के पास को बाकायदा एक टिकट में बदल लेने के लिए कहा ।

आज रात को किसी समय मैं स्टीमर पर सवार होऊँगा। मैं कुशल से हूँ, प्रसन्न हूँ और इस मसख़रेपन का ख़ूब आनन्द ले रहा हूँ।

मादमोआजेल कैसी हैं? बोया कहाँ हैं? मादाम कालभे से मेरा अनन्त आभार तथा शुभ कामनाएँ कहना। वे एक भली महिला हैं।

आशा है तुम अपनी यात्रा में आनन्द प्राप्त करोगी।

सस्नेह सदा तुम्हारा,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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