स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी मेरी हेल को लिखित (8 दिसम्बर, 1894)
(स्वामी विवेकानंद का कुमारी मेरी हेल को लिखा गया पत्र)
१६८, ब्रैट्ल स्ट्रीट,
केम्ब्रिज,
८ दिसम्बर, १८९४
प्रिय बहन,
मैं तीन दिन से यहाँ हूँ। हम लोगों ने श्रीमती हेनरी सॉमरसेट का श्रेष्ठ व्याख्यान सुना। मैं यहाँ वेदान्त एवं दूसरे विषयों पर हर सुबह क्लास लेता हूँ। अब तक तुम्हें ‘वेदान्त’ की प्रति, जो मैंने मदर टेम्प्ल के यहाँ तुम्हारे पास भेज देने के लिए छोड़ दी थी, मिल गयी होगी। दूसरे दिन मैं स्पाल्डिंग्स के यहाँ भोजन पर गया। मेरे विरोध के बावजूद उस दिन उन्होंने मुझसे अमेरिकन लोगों की आलोचना करने का आग्रह किया। खेद है, यह उन्हें अच्छा नहीं लगा होगा। निश्चय ही ऐसा करना सर्वथा असम्भव है। मदर चर्च और शिकागो के उस परिवार का क्या समाचार है? बहुत दिनों से उनका कोई पत्र नहीं मिला है। समय होता, तो पहले ही तुमसे मिलने शहर दौड़ गया होता। पूरा दिन मुझे व्यस्त रहना पड़ता है। खेद है कि तुमसे नहीं मिल सकूँगा।
अगर तुम्हें समय हो, तो लिखो और मैं अवसर हाथ लगते ही तुमसे मिलने का प्रयत्न करूँगा। जब तक मैं यहाँ रहूँगा, यानी इस मास के २७ या २८ ता. तक, मिलने का मेरा समय अपराह्न ही होगा, प्रातः १२ या १ तक मुझे बहुत व्यस्त रहना होगा।
तुम सबों को मेरा प्यार।
तुम्हारा सदा स्नेही भाई,
विवेकानन्द