स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (17 सितम्बर, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)
द्वारा ई. टी. स्टर्डी,
हाई व्यू,केवरशम,
रीडिंग, इंग्लैण्ड,
१७ सितम्बर, १८९५
प्रिय श्रीमती बुल,
इंग्लैण्ड में समिति स्थापित करने के लिए मुझे तथा श्री स्टर्डी को कम से कम ऐसे दो-चार व्यक्तियों की आवश्यकता है, जो दृढ़संकल्प तथा मेधावी हों, इसलिए हमें धीरे धीरे अग्रसर होना पड़ेगा। सर्वप्रथम हमें इस बात से सचेत रहना होगा कि कहीं हम कुछ ‘मनचले’ व्यक्तियों के चंगुल में न फँस जायँ। आपको सम्भवतः यह पता है कि अमेरिका में भी मेरा यही लक्ष्य था। श्री स्टर्डी कुछ दिन भारत में हमारे संन्यासी सम्प्रदाय के रीति-रिवाज के अनुसार निवास कर चुके हैं। वे एक पढ़े-लिखे, संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञाता तथा अत्यन्त ही उत्साही व्यक्ति हैं।… यहाँ तक सब अच्छा है।…
पवित्रता, दृढ़ता तथा उद्यम – ये तीनों ही गुण मै एक साथ चाहता हूँ। यहाँ पर यदि ऐसे छः व्यक्ति भी मुझे मिल जायँ, तो मेरा कार्य चलता रहेगा। ऐसे दो-चार व्यक्तियों के मिलने की भी आशा है।
भवदीय,
विवेकानन्द