स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (7 मई, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)
५४ पश्चिम ३३वाँ रास्ता,
न्यूयार्क,
७ मई, १८९५
प्रिय श्रीमती बुल,
कुमारी फार्मर के साथ उक्त विषय को तय कर लेने के लिए आपको विशेष धन्यवाद। भारत से मुझे एक समाचारपत्र मिला है; उसमें डॉ० बरोज को भारत की ओर से जो धन्यवाद प्रदान किया गया था, उसका संक्षिप्त उत्तर छपा है; कुमारी थर्सबी उसे आपको भेज देंगी।
कल मुझे भारत से मद्रास की अभिनन्दन-सभा के सभापति का और एक पत्र मिला – उसमें उन्होंने अमेरिकावासियों को धन्यवाद प्रदान किया है, साथ ही मुझे भी एक अभिनन्दन भेजा है। मैंने उनसे अपने मद्रासी मित्रों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए कहा था। यह सज्जन मद्रास के नागरिकों में प्रधान हैं तथा उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश हैं – भारत में यह एक अत्यन्त उच्च पद माना जाता है।
न्यूयार्क में और दो भाषण दूँगा – ये भाषण ‘माट’ स्मृतिभवन के ऊपर की मंजिल में होंगे। पहला भाषण आगामी सोमवार को होगा; उसका विषय होगा – धर्म-विज्ञान। द्वितीय भाषण का विषय – ‘योग की युक्तिसंगत व्याख्या’ रखा गया है।
कुमारी थर्सबी मेरे क्लास में प्रायः आती हैं। श्री फ़्लान मेरे कार्यों में अब काफी हमदर्दी दिखा रहे हैं तथा उसके विस्तार के लिए यत्नशील हैं। लैण्ड्सबर्ग नहीं आता है। मुझे ऐसी शंका होती है कि वह मुझ पर बहुत ही नाराज है। क्या कुमारी हैमलिन ने भारत की आर्थिक दशाविषयक पुस्तक आपको भेजी है? मेरी इच्छा है कि आपके भाई साहब उस पुस्तक को पढ़ें तथा स्वयं यह अनुभव करें कि अंग्रेजी शासन का तात्पर्य भारत में क्या समझा जाता है।
आपका चिरकृतज्ञ पुत्र,
विवेकानन्द