स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (9 दिसम्बर, 1896)
(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)
३७, विक्टोरिया स्ट्रीट,
लन्दन,
९ दिसम्बर, १८९६
प्रिय श्रीमती बुल,
आपके इस अत्यन्त उदारतापूर्ण दान के लिए कृतज्ञता प्रकट करना अनावश्यक है। कार्य के प्रारम्भ में ही अधिक धन संग्रह कर मैं अपने को संकट में डालना नहीं चाहता हूँ; किन्तु कार्य-विस्तार के साथ-साथ उस धन का प्रयोग करने पर मुझे बड़ी खुशी होगी। अत्यन्त छोटे पैमाने पर मैं कार्य प्रारम्भ करना चाहता हूँ। अभी तक मेरी कोई स्पष्ट योजना नहीं है। भारत के कार्यक्षेत्र में पहुँचने पर वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। भारत पहुँचकर मैं अपनी योजना तथा उसे कार्य में परिणत करने के व्यावहारिक उपाय आपको विशद रूप से सूचित करूँगा। मैं १६ तारीख को रवाना हो रहा हूँ एवं इटली में दो-चार दिन रहकर नेपल्स से जहाज पकडूँगा।
कृपया श्रीमती वागान, सारदानन्द तथा वहाँ के अन्य मित्रों को मेरा स्नेह दीजियेगा। आपके बारे में मैं इतना ही कह सकता हूँ कि सदा ही से मैं आपको अपना सर्वोत्तम मित्र मानता आया हूँ एवं जीवन भर वैसे ही मानता रहूँगा। मेरा आन्तरिक स्नेह तथा आशीर्वाद ग्रहण करें।
शुभाकांक्षी,
विवेकानन्द