स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (1895)

(स्वामी विवेकानंद का श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखा गया पत्र)

१९ डब्ल्यू. ३८वीं स्ट्रीट,
न्यूयार्क, १८९५

प्रिय आलासिंगा,

… तथाकथित समाज सुधार के विषय में हस्तक्षेप न करना; क्योंकि पहले आध्यात्मिक सुधार हुए बिना अन्य किसी भी प्रकार का सुधार नहीं हो सकता। तुमसे किसने कह दिया कि मैं सामाजिक सुधार चाहता हूँ? मैं तो नहीं। प्रभु का प्रचार करते रहो। सामाजिक कुसंस्कार तथा दोष-त्रुटियों के सम्बन्ध में भला-बुरा कुछ भी न कहो। हताश न होना, अपने गुरु पर विश्वास न खोना और भगवान् पर विश्वास न खोना। मेरे बच्चे, जब तक तुममें ये तीनों बातें हैं, तब तक तुम्हारा कोई भी अनिष्ट नहीं कर सकता। मैं दिनोंदिन सबल बनता जा रहा हूँ। मेरे बहादुर बच्चों, कार्य करते चलो।

चिर आशीर्वादक,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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