स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री अतुलचन्द्र घोष को लिखित (15 मार्च, 1890)

(स्वामी विवेकानंद का श्री अतुलचन्द्र घोष को लिखा गया पत्र)

गाजीपुर,
१५ मार्च, १८९०

अतुल बाबू,

आपकी मानसिक पीड़ा के समाचार से अत्यन्त दुःख हुआ – जिससे आनन्द मिल सके, ऐसी व्यवस्था करें –

यावज्जननं तावन्मरणं, तावज्जननीजठरे शयनम्।
इति संसारे स्फुटतरदोषः कथमिह मानव तव सन्तोषः॥

– जहाँ जन्म है, वहाँ मृत्यु है और माँ के गर्भ में प्रवेश भी है। संसार में यह दोष सुस्पष्ट है। अरे मनुष्य, ऐसे संसार में संतोष कहाँ!’

आपका,
नरेन्द्र

पुनश्च – मैं कल यहाँ से प्रस्थान कर रहा हूँ – देखना है कि भाग्य कहाँ ले जाता है।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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