स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित (1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखा गया पत्र)
आर० एम० एस० ‘ब्रिटानिक’,
१८९५
शुभ और प्रिय,
अब तक यात्रा बहुत सुखद रही। पोताधिकारी (पर्सर) मेरे प्रति बड़े ही सदय थे। उन्होंने मुझे एक केबिन दे दिया था। एकमात्र कठिनाई भोजन की थी – हमेशा गोश्त ही गोश्त। आज उन्होंने मुझे कुछ सब्जी देने का वचन दिया है।
हम लोग अभी स्थिर (लंगर डाले हुए की स्थिति में) हैं। कुहरा इतना घना है कि जहाज आगे नहीं बढ़ सकता। अतः इस अवसर का उपयोग कर मैं कुछ पत्र लिख रहा हूँ।
अपूर्व अभेद्य कुहासा है, यद्यपि सूर्य सहर्ष दीप्त है। मेरी ओर से बच्ची को चुम्बन तथा श्रीमती स्टर्डी को और तुम्हें प्यार और शुभकामनाएँ।
सदा तुम्हारा ही,
विवेकानन्द
पुनश्च – कृपया कुमारी मूलर को मेरा प्यार सूचित करना। एवेन्यू रोड में मैंने अपना ‘नाईट शर्ट’ छोड़ दिया है। अतः मुझे तब तक उसके बिना काम चलाना होगा, जब तक कि डेक के नीचे बक्सा नहीं आ जाता है।