स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित
(स्वामी विवेकानंद का श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखा गया पत्र)
बम्बई
प्रिय दीवानजी साहब,
पत्रवाहक, बाबू अक्षयकुमार घोष, मेरे एक मित्र हैं। वे कलकत्ता के एक कुलीन परिवार के हैं। मुझे वे खण्डवा में मिले और हमारा परिचय हो गया, यद्यपि कलकत्ता में मैं इनके परिवार को बहुत पहले से जानता हूँ।
वे एक बहुत ईमानदार एवं बुद्धिमान युवक हैं और कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व स्नातक हैं। आपको विदित है कि बंगाल में इस समय संघर्ष कितना कठिन है और यह गरीब तरुण किसी नौकरी की तलाश में निकला है। आपकी प्रकृति की स्वाभाविक उदारता को जानते हुए मैं समझता हूँ कि इस युवक के निमित्त कुछ करने के लिए आपसे सादर निवेदन कर मैं आपको उद्विग्न नहीं कर रहा हूँ। मुझे अधिक कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं है। आप इस लड़के को परिश्रमी एवं ईमानदार पायेंगे। अगर एक सहजीवी के प्रति किया गया एक भी उदारतापूर्ण कार्य उसके संपूर्ण जीवन को सुखी बना देता है, तो मुझे आपसे यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं कि यह लड़का इसका एक पात्र है (ऐसा व्यक्ति, जो सहायता पाने का पूर्ण अधिकारी है)। वह भद्र एवं सहृदय है, जैसे कि आप।
आशा है, मेरे इस निवेदन से आप उद्विग्न एवं परेशान नहीं होंगे। एक बड़ी विचित्र परिस्थिति में किया गया यह निवेदन अपने ढंग का पहला और अन्तिम है। आपकी उदार प्रकृति में विश्वास एवं आशा के साथ।
भवदीय,
विवेकानन्द