स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री हरिपद मित्र को लिखित (16 अक्टूबर, 1898)

(स्वामी विवेकानंद का श्री हरिपद मित्र को लिखा गया पत्र)

लाहोर
१६ अक्टूबर, १८९८
कल्याणीय,

काश्मीर में मेरा स्वास्थ्य एकदम खराब हो चुका है तथा ९ वर्षों से श्रीदुर्गा पूजा देखने का अवसर भी प्राप्त नहीं हुआ है – अतः कलकत्ता रवाना हो रहा हूँ। अमेरिका जाने का संकल्प इस समय त्याग चुका हूँ। जाड़े में कराची आने के मुझे अनेक अवसर मिलेंगे।

मेरे गुरुभाई सारदानन्द लाहोर से ५० रुपये कराची भेज देंगे। तुम दुःखित न होना – सब कुछ प्रभु की इच्छा है। मैं इस वर्ष तुम लोगों से मिले बिना कहीं भी नहीं जाऊँगा – यह निश्चित जानना। सबको मेरा आशीर्वाद।

सदा शुभाकांक्षी,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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