स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री हरिपद मित्र को लिखित (1897)

(स्वामी विवेकानंद का श्री हरिपद मित्र को लिखा गया पत्र)

श्रीनगर, काश्मीर,
१८९७

प्रिय हरिपद,

पिछले नौ महीने से मेरा स्वास्थ्य बहुत ही खराब चल रहा है, एवं गर्मी ने तो उसे और भी खराब कर दिया है। अतः मैं पहाड़ पर एक स्थान से दूसरे स्थान का भ्रमण कर रहा हूँ। अभी मैं काश्मीर में हूँ। मैं चारों और बहुत घूमा हूँ, परन्तु ऐसा देश मैंने कभी नहीं देखा। मैं शीघ्र ही पंजाब के लिए प्रस्थान करूँगा और पुनः कार्य में लग जाऊँगा। सारदानन्द से तुम्हारा सारा समाचार मुझे मिला और बराबर मिलता रहता है। पंजाब के बाद मैं निश्चय ही कराची जाऊँगा। अतः वहाँ पर हम लोगों की भेंट होगी।

साशीष,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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