स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (21 फरवरी, 1889)
(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)
वराहनगर,
२१ फरवरी, १८८९
पूज्यपाद,
मेरा विचार बनारस जाने का था और अपने गुरुदेव के जन्म-स्थान के दर्शनोपरान्त वहाँ जाने की योजना मैंने बनायी थी। लेकिन दुर्भाग्यवश उस गाँव के रास्ते में ही मुझे तेज बुखार आ गया और फिर कै-दस्त होने लगी, जैसी हैजे में होती है। तीन-चार दिन बाद बुखार फिर हो आया – और इस समय शरीर में इतनी कमजोरी है कि मेरे लिए दो कदम चलना भी कठिन है।
अब विवश होकर मैंने अपने पूर्व विचार का परित्याग कर दिया है। मुझे यह पता नहीं कि ईश्वर की क्या इच्छा है लेकिन इस मार्ग पर चलने के लिए मेरा शरीर बिल्कुल अक्षम है। फिर भी, शरीर ही तो सब कुछ नहीं है। यहाँ स्वस्थ होने पर कुछ दिनों बाद मैं वहाँ आपसे मिलने की आशा करता हूँ। विश्वेश्वर जैसा चाहेंगे, चाहे जो हो, वही होगा। कृपया आप भी मुझे आशीर्वाद दें। आपको तथा भाई ज्ञानानन्द को मेरी श्रद्धा।
आपका,
नरेन्द्रनाथ