स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (26 जून, 1889)

(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)
श्री श्री दुर्गाशरणम्

वराहनगर मठ,
२६ जून, १८८९

पूज्यपाद महाशय,

कुछ विभिन्न कारणों से मैं आपको बहुत दिनों से पत्र न लिख सका, कृपया क्षमा करें। मुझे गंगाधर का समाचार अब मिल गया है। उसकी मेरे एक गुरु भाई से भेंट हो गयी है और वे दोनों इस समय उत्तराखण्ड में निवास कर रहे हैं। हममें से चार इस समय हिमालय में हैं और अब गंगाधर को मिलाकर पाँच हो गये।

शिवानन्द नामक एक गुरुभाई गंगाधर को केदारनाथ की राह में श्रीनगर में मिल गये थे। गंगाधर ने दो चिट्ठियाँ यहाँ भेजी हैं। पहले साल उसे तिब्बत जाने की अनुमति नहीं मिली, परन्तु दूसरे साल मिल गयी। लामा लोग उससे बहुत प्रेम करते हैं और उसने उनसे तिब्बती भाषा भी सीख ली है। उसका कहना है कि तिब्बत में नब्बे प्रतिशत जनसंख्या लामाओं की है, परन्तु सम्प्रति वे लोग तांत्रिक ढंग की उपासना ही अधिक करते हैं। वह देश बहुत ठण्डा है। वहाँ सूखा मांस छोड़कर खाद्य पदार्थ कठिनाई से मिलते हैं। गंगाधर को इसके बावजूद चलना पड़ा और इसी भोजन पर निर्वाह करना पड़ा। मेरा स्वास्थ्य तो कामचलाऊ है, परन्तु मन की स्थिति भीषण है!

आपका,
नरेन्द्रनाथ

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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