स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री सिंगारावेलू मुदलियार को लिखित (21 सितम्बर, 1894)

(स्वामी विवेकानंद का श्री सिंगारावेलू मुदलियार लिखा गया पत्र)

संयुक्त राज्य अमेरिका,
२१ सितम्बर, १८९४

प्रिय किडी,

इतने शीघ्र संसार त्यागने का तुम्हारा संकल्प सुनकर मैं अत्यन्त दुःखित हूँ। पकने पर फल पेड़ से स्वतः ही गिर जाता है। अतः समय की प्रतीक्षा करो। जल्दबाजी मत करो। इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का मूर्खतापूर्ण आचरण कर दूसरों को कष्ट देने का अधिकार किसी को नहीं है। प्रतीक्षा करो, सब्र रखो, समय पर सब ठीक हो जाएगा।

बालाजी, जी. जी. तथा हमारे अन्य मित्रों से मेरा हार्दिक प्यार कहना। तुम्हें भी अनन्त काल के लिए मेरा प्यार।

आशीर्वाद सहित, तुम्हारा,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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