स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (12 फरवरी, 1897)

(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)

मद्रास,
१२ फरवरी, १८९७

प्रिय राखाल,

आगामी रविवार को ‘यस. यस. मोम्बासा’ जहाज से मेरे रवाना होने की बात है। स्वास्थ्य अनुकूल न होने के कारण पूना तथा और भी अनेक स्थानों के निमंत्रण मुझे अस्वीकार करने पड़े। अत्यधिक परिश्रम तथा गर्मी के कारण स्वास्थ्य बहुत खराब हो चुका है।

थिसोसॉफिस्ट तथा अन्य लोगों की इच्छा मुझे अत्यन्त भयभीत करने की थी; अतः उन्हें दो-चार बातें स्पष्ट रूप से कहने के लिए मुझे बाध्य होना पड़ा था। तुम तो यह जानते हो कि उनके साथ सम्मिलित न होने के कारण उन लोगों ने अमेरिका में मुझे बराबर कष्ट दिया है। यहाँ पर भी उसी प्रकार के आचरण करने की उन लोगों की इच्छा थी। इसीलिए मुझे अपना अभिमत स्पष्ट रूप से व्यक्त करना पड़ा था। इससे यदि मेरे कलकत्ते के मित्रों में से कोई असन्तुष्ट हुए हों, तो भगवान् उन पर कृपा करे। तुम्हारे लिए

डरने की कोई बात नहीं है, मैं अकेला नहीं हूँ, प्रभु सदा मेरे साथ है। इसके सिवाय और मैं कर ही क्या सकता था?

तुम्हारा,
विवेकानन्द

पुनश्च – मकान तैयार हो गया हो तो उसे ले लेना। वि

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!