स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (14 जून, 1897)

(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)

अल्मोड़ा,
१४ जून, १८९७

अभिन्नहृदय,

तुमने चारु का जो पत्र भेजा है, उसके बारे में मेरी पूरी सहानुभूति है।

महारानीजी को जो मानपत्र दिया जायगा, उसमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :

१. वह सभी अतिशयोक्तिपूर्ण कथनों से मुक्त होना चाहिए, दूसरे शब्दों में आप ईश्वर की प्रतिनिधि हैं’ इत्यादि (व्यर्थ बातों) का उल्लेख, जैसा कि हम देशवासियों के लिए आम हो गया है, नहीं होना चाहिए।

२. आपके राज में सभी धर्मों की सुरक्षा होने के कारण भारतवर्ष तथा इंग्लैण्ड में हम लोग निर्भयता के साथ अपने वेदान्त मत का प्रचार करने में समर्थ हुए हैं।

३. दरिद्र भारतवासी के प्रति उनकी दया का उल्लेख, जैसे कि दुर्भिक्ष-कोश में स्वयं दान देकर अंग्रेजों को अपूर्व दान के प्रति प्रोत्साहित करना।

४. उनके दीर्घ जीवन तथा उनके राज्य में प्रजाओं की उत्तरोत्तर सुख समृद्धि की कामना व्यक्त करना।

मानपत्र शुद्ध अंग्रेजी में लिखकर अल्मोड़ा के पते पर मुझे भेज दो। मैं उसमें हस्ताक्षर कर शिमला भेज दूँगा। शिमला में इसे किसके पास भेजना होगा, लिखना।

सस्नेह,
विवेकानन्द

पुनश्च – शुद्धानन्द से कहो कि वह प्रति सप्ताह मठ से मुझे जो पत्र लिखता है, उसकी एक प्रतिलिपि रख लिया करे।

विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!