स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी तुरीयानन्द को लिखित (13 अगस्त, 1900)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी तुरीयानन्द को लिखा गया पत्र)
६ प्लेस द-एतात् यूनि, पेरिस,
१३ अगस्त, १९००
भाई हरि,
कैलिफोर्निया से तुम्हारा पत्र मिला। तीन व्यक्तियों को भावावेश होने लगा, बुराई क्या है? उससे बहुत कुछ कार्य होता है। गुरू महाराज जानें। जो होना है, होने दो। उनका कार्य है, वे ही जानें, हम तो दास के सिवाय और कुछ नहीं हैं।
इस पत्र को, द्वारा श्रीमती एस० पानेल, इस पते से सैन फ़्रांसिस्को भेज रहा हूँ।
अभी न्यूयार्क से साधारण समाचार प्राप्त हुआ है। वे लोग कुशलपूर्वक हैं। काली बाहर गया हुआ है। तुम सैन फ़्रांसिस्को में किमासीत प्रभाषेत व्रजेत किम् लिख भेजना। और मठ में रूपये भेजने के विषय में उदासीन न होना। लॉस एंजिलिस तथा सैन . फ्रांसिस्को से प्रतिमास निश्चित रूप से रूपये जाने चाहिए।
मैं एक प्रकार से ठीक ही हूँ। शीघ्र ही इंग्लैण्ड रवाना होना है। शरत् का समाचार मिलता रहता है। बीच में उसको पेचिश हो गयी थी। और सब लोग अच्छी तरह से हैं। अब की बार किसी को मलेरिया नहीं हुआ है। गंगा-तट पर उसका विशेष आक्रमण भी नहीं होता है। वर्तमान वर्ष में वर्षा कम होने के कारण बंगाल में अकाल पड़ने का भय है।
भाई, ‘माँ’ की कृपा से कार्य में जुटे रहो। ‘माँ’ जानें, तुम जानो – मैं मुक्त हूँ। अब मैं विश्राम लेने जा रहा हूँ।
दास,
विवेकानन्द