स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी तुरीयानन्द को लिखित (25 जुलाई, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का स्वामी तुरीयानन्द को लिखा गया पत्र)

१०२ पूर्व ५८वाँ रास्ता,
न्यूयार्क,
२५ जुलाई, १९००

प्रिय तुरीयानन्द,

श्री हैन्सबॉरो के एक पत्र से यह विदित हुआ कि तुम उनके यहाँ गये थे। वे तुमको बहुत चाहते हैं और मेरा यह विश्वास है कि तुम भी समझ गये होगे कि उन लोगों की मित्रता कितनी स्वाभाविक, पवित्र तथा स्वार्थरहित है। कल मैं पेरिस रवाना हो रहा हूँ, सब कुछ ठीक हो चुका है। अभेदानन्द यहाँ नहीं है। चूँकि मैं जा रहा हूँ, इसलिए वह कुछ चिन्तित हो उठा है – किन्तु इसके अलावा उपाय ही क्या है?

६, प्लेस द-एतात् यूनि – श्री लेगेट के इस पते से अब तुम मुझे पत्र देना। श्रीमती वाईकाफ, हैन्सबॉरो तथा हेलेन से मेरा स्नेह कहना। समितियों का कार्य पुनः सामान्य रूप से प्रारम्भ कर दो तथा श्रीमती हैन्सबॉरो से कहो कि वे समय पर चन्दा वसूल करें और अर्थ संग्रह कर भारत भेजें; क्योंकि सारदा ने लिखा है कि वे लोग बहुत ही आर्थिक कष्ट में हैं। श्रीमती बुक को मेरी हार्दिक श्रद्धा कहना। तुम मेरा असीम प्यार जानना।

सतत प्रभुपदाश्रित,
तुम्हारा,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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