जौहर दिखलाओ
“जौहर दिखलाओ” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। यह पाकिस्तान आक्रमण के समय की रचना है। इसमें देशवासियों से वीरता का आह्वान है।
Read More“जौहर दिखलाओ” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। यह पाकिस्तान आक्रमण के समय की रचना है। इसमें देशवासियों से वीरता का आह्वान है।
Read More“मंगलमय त्यौहार” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें आज़ादी की क़ीमत पहचानने और भारत को आगे बढ़ाने की अपील परिलक्षित होती है।
Read More“सूरज चमका” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें चीन युद्ध में मिली हार की चर्चा और फलस्वरूप जागने का आवाहन है।
Read More“लिखो नया इतिहास” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इसमें देश के पुनर्निमाण का आह्वान झलकता है।
Read More“स्वतंत्रता की कीमत” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें आज़ादी का मूल्य पहचानने और तदनुरूप व्यवहार का आह्वान किया गया है।
Read More“राष्ट्र पर्व” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। आज़ादी के बाद की विसंगतियों की चर्चा इस कविता में की गयी है। अवश्य पढ़ें।
Read More“इतिहास नया बनने को है” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी खड़ी बोली की कविता है। इसमें देशवासियों को बाधाएँ पार कर आगे बढ़ने का संदेश है।
Read More“सृजन के वास्ते” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी भाषा में रचित को दर्शाती कविता है।
Read More“सभ्य हो जायेंगे” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इस कविता में सभ्यता के स्वरूप और दशा का चित्रण है।
Read More“आजादी का आदि पर्व” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इस कविता की एक-एक पंक्ति देशभक्ति का जज़्बा जगाती है।
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