यमराज की आरती – Yamraj Ki Aarti
यमराज की आरती (Yamraj Ki Aarti) में वह शक्ति सन्निहित है जो सभी पापों को सबीज विदग्ध कर देती है। यमराज को धर्मराज के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यमराज के भाई शनिदेव हैं और बहन यमुना जी हैं। वे हर व्यक्ति के पाप-पुण्य के अनुसार उसकी मृत्यु के पश्चात चित्रगुप्त जी की सहायता से दण्ड या पुरस्कार देते हैं। वैतरणी पार करने के लिए तथा पापों से मुक्ति के लिए यमराज की आरती का पाठ किया जाता है। कठोपनिषद में वर्णित नचिकेता और यमराज के संवाद से स्पष्ट है कि वे अपने भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी करते हैं। पढ़ें यमराज की आरती–
धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी।
पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी॥
धर्मराज कर सिद्ध काज…
धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो॥
अंत समय में सब ही को, तुम दूत भेज बुलाते हो।
पाप पुण्य का सारा लेखा, उनको बांच सुनते हो॥
भुगताते हो प्राणिन को तुम, लख चौरासी की फेरी॥
धर्मराज कर सिद्ध काज…
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे, फुर्ती से लिखने वाले।
अलग अगल से सब जीवों का, लेखा जोखा लेने वाले॥
पापी जन को पकड़ बुलाते, नरको में ढाने वाले।
बुरे काम करने वालो को, खूब सजा देने वाले॥
कोई नही बच पाता न, याय निति ऐसी तेरी॥
धर्मराज कर सिद्ध काज…
दूत भयंकर तेरे स्वामी, बड़े बड़े दर जाते हैं।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही, भय से थर्राते हैं॥
बांध गले में रस्सी वे, पापी जन को ले जाते हैं।
चाबुक मार लाते, जरा रहम नहीं मन में लाते हैं॥
नरक कुंड भुगताते उनको, नहीं मिलती जिसमें सेरी॥
धर्मराज कर सिद्ध काज…
धर्मी जन को धर्मराज, तुम खुद ही लेने आते हो।
सादर ले जाकर उनको तुम, स्वर्ग धाम पहुचाते हो॥
जों जन पाप कपट से डरकर, तेरी भक्ति करते हैं।
नर्क यातना कभी ना करते, भवसागर तरते हैं॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये, जपता हूँ तेरी माला॥
धर्मराज कर सिद्ध काज…
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यमराज की आरती (Yamraj Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यमराज की आरती रोमन में–
Yamraj Ki Aarti
dharmarāja kara siddha kāja, prabhu maiṃ śaraṇāgata hū~ terī।
paड़ī nāva majhadāra bhaṃvara meṃ, pāra karo, na karo derī॥
dharmarāja kara siddha kāja…
dharmaloka ke tuma svāmī, śrī yamarāja kahalāte ho।
joṃ joṃ prāṇī karma karata haiṃ, tuma saba likhate jāte ho॥
aṃta samaya meṃ saba hī ko, tuma dūta bheja bulāte ho।
pāpa puṇya kā sārā lekhā, unako bāṃca sunate ho॥
bhugatāte ho prāṇina ko tuma, lakha caurāsī kī pherī॥
dharmarāja kara siddha kāja…
citragupta haiṃ lekhaka tumhāre, phurtī se likhane vāle।
alaga agala se saba jīvoṃ kā, lekhā jokhā lene vāle॥
pāpī jana ko pakaड़ bulāte, narako meṃ ḍhāne vāle।
bure kāma karane vālo ko, khūba sajā dene vāle॥
koī nahī baca pātā na, yāya niti aisī terī॥
dharmarāja kara siddha kāja…
dūta bhayaṃkara tere svāmī, baड़e baड़e dara jāte haiṃ।
pāpī jana to jinheṃ dekhate hī, bhaya se tharrāte haiṃ॥
bāṃdha gale meṃ rassī ve, pāpī jana ko le jāte haiṃ।
cābuka māra lāte, jarā rahama nahīṃ mana meṃ lāte haiṃ॥
naraka kuṃḍa bhugatāte unako, nahīṃ milatī jisameṃ serī॥
dharmarāja kara siddha kāja…
dharmī jana ko dharmarāja, tuma khuda hī lene āte ho।
sādara le jākara unako tuma, svarga dhāma pahucāte ho॥
joṃ jana pāpa kapaṭa se ḍarakara, terī bhakti karate haiṃ।
narka yātanā kabhī nā karate, bhavasāgara tarate haiṃ॥
kapila mohana para kṛpā kariye, japatā hū~ terī mālā॥
dharmarāja kara siddha kāja…
हिन्दू धर्म में यम देवता को यमराज, और धर्मराज के नाम से भी जाना जाता है। भैंसा इनका वाहन माना जाता है। इनका विवाह दक्ष प्रजापति की चौरासी कन्याओं में से तेईस से हुआ था। यमराज और धुमोरना के पुत्र कतिला थे। एवं कुंती और यमराज के पुत्र युधिष्ठिर माने जाते हैं।
वैसे तो हिन्दू धर्म में हर दिन ही पूजा, जप, तप, आरती करने का महत्व है। परन्तु अगर किसी विशेष दिन एवं प्रयोजन से इसे किया जाये तो यह और भी अधिक फलदायी होता है। उसी प्रकार यमराज जी की आरती (Yamraj ji ki aarti) के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन को यम द्वितीया भी बोलते हैं। इस तिथि में यम देव और उनकी भगिनी देवी यमुना नदी के पूजन का विधान है। इसके बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज जी ने यमुना जी के सत्कार से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था।
कहते हैं जो कोई भी मनुष्य यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता और नरक की यातनाओं से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन यमुना नदी में स्नान करके यमुना और धर्मराज की आरती करने का विशेष विधान है। ऐसा करने वाले जातक को सभी प्रकार के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और साथ ही सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हिंदीपथ के माध्यम से यमराज जी की आरती (Yamraj ki aarti) पढ़ एवं गा सकते हैं। जल्द ही आप यहाँ पर यम की आरती का pdf भी डाउनलोड कर पाएंगे।