धर्म

विनय चालीसा – नीम करौली बाबा

विनय चालीसा का पाठ हृदय में नीम करौली बाबा के दिव्य स्वरूप को जागृत करने वाला है। जो भी बाबा नीम करौरी को सच्चे दिल से याद करता है उसके अभीष्ट की सिद्धि अवश्य होती है–इसमें थोड़ा भी संशय नहीं है। बाबा तो प्रेम और करुणा की साक्षात मूर्ति हैं। उनका स्मरण भी अन्तःकरण में इन्हीं भावों का उद्रेक करता है। कहते हैं कि विनय चालीसा पढ़ने से बाबा की अनुकम्पा सहज ही प्राप्त की जा सकती है।

कैंची धाम वाले बाबा अपने भक्तों का कष्ट शीघ्र ही नष्ट कर देते हैं। सेवा और भक्ति का संदेश जीवन में धारण करके नित्य विनय चालीसा का पाठ सभी दुःखों को दूर करने में सक्षम है। ऐसे भक्त पर बाबा नीम करौली के आशीर्वाद की वृष्टि होती रहती है। पढ़ें विनय चालीसा–

॥ दोहा ॥
मैं हूँ बुद्धि मलीन अति,
श्रद्धा भक्ति विहीन।
करूँ विनय कछु आपकी,
हो सब ही विधि दीन॥

॥ चौपाई ॥
जय जय नीब करोली बाबा।
कृपा करहु आवै सद्भावा॥

कैसे मैं तव स्तुति बखानू ।
नाम ग्राम कछु मैं नहीं जानूँ॥

जापे कृपा द्रिष्टि तुम करहु।
रोग शोक दुःख दारिद हरहु॥

तुम्हरौ रूप लोग नहीं जानै।
जापै कृपा करहु सोई भानै॥

करि दे अर्पन सब तन मन धन।
पावै सुख अलौकिक सोई जन॥

दरस परस प्रभु जो तव करई।
सुख सम्पति तिनके घर भरई॥

जय जय संत भक्त सुखदायक।
रिद्धि सिद्धि सब सम्पति दायक॥

तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा
विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा॥

जय जय जय जय श्री भगवंता।
तुम हो साक्षात् हनुमंता

कही विभीषण ने जो बानी।
परम सत्य करि अब मैं मानी॥

बिनु हरि कृपा मिलहि नहीं संता।
सो करि कृपा करहि दुःख अंता॥

सोई भरोस मेरे उर आयो।
जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो॥

जो सुमिरै तुमको उर माहि ।
ताकि विपति नष्ट ह्वै जाहि ॥

जय जय जय गुरुदेव हमारे।
सबहि भाँति हम भये तिहारे॥

हम पर कृपा शीघ्र अब करहु।
परम शांति दे दुःख सब हरहु॥

रोक शोक दुःख सब मिट जावै।
जपै राम रामहि को ध्यावै॥

जा विधि होई परम कल्याणा।
सोई सोई आप देहु वरदाना॥

सबहि भाँति हरि ही को पूजे।
राग द्वेष द्वंदन सो जूझे॥

करै सदा संतन की सेवा।
तुम सब विधि सब लायक देवा॥

सब कुछ दे हमको निस्तारो।
भवसागर से पार उतारो॥ 

मैं प्रभु शरण तिहारी आयो ।
सब पुण्यन को फल है पायो॥

जय जय जय गुरुदेव तुम्हारी।
बार बार जाऊं बलिहारी॥

सर्वत्र सदा घर घर की जानो।
रूखो सूखो ही नित खानो॥

भेष वस्त्र है सादा ऐसे।
जाने नहीं कोउ साधू जैसे॥

ऐसी है प्रभु रहनी तुम्हारी।
वाणी कहो रहस्यमय भारी॥

नास्तिक हूँ आस्तिक ह्वै जावै।
जब स्वामी चेटक दिखलावै॥

सब ही धर्मन के अनुयायी।
तुम्हे मनावै शीश झुकाई॥

नहीं कोउ स्वारथ नहीं कोउ इच्छा।
वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा॥ 

केही विधि प्रभु मैं तुम्हे मनाऊँ।
जासो कृपा-प्रसाद तव पाऊँ॥

साधु सुजन के तुम रखवारे।
भक्तन के हो सदा सहारे॥

दुष्टऊ शरण आनी जब परई।
पूरण इच्छा उनकी करई॥

यह संतन करि सहज सुभाऊ।
सुनी आश्चर्य करई जनि काउ॥ 

ऐसी करहु आप अब दाया।
निर्मल होई जाइ मन और काया॥

धर्म कर्म में रूचि होई जावे।
जो जन नित तव स्तुति गावै॥

आवे सद्गुन तापे भारी।
सुख सम्पति सोई पावे सारी॥

होय तासु सब पूरन कामा।
अंत समय पावै विश्रामा॥ 

चारि पदारथ है जग माहि।
तव कृपा प्रसाद कछु दुर्लभ नाही॥

त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी।
हरहु सकल मम विपदा भारी॥

धन्य धन्य बड़ भाग्य हमारो।
पावै दरस परस तव न्यारो॥

कर्महीन अरु बुद्धि विहीना।
तव प्रसाद कछु वर्णन कीन्हा॥

॥ दोहा ॥
श्रद्धा के यह पुष्प कछु,
चरणन धरी सम्हार।
कृपासिन्धु गुरुदेव प्रभु,
करी लीजै स्वीकार॥

एक अमेज़न एसोसिएट के रूप में उपयुक्त ख़रीद से हमारी आय होती है। यदि आप यहाँ दिए लिंक के माध्यम से ख़रीदारी करते हैं, तो आपको बिना किसी अतिरिक्त लागत के हमें उसका एक छोटा-सा कमीशन मिल सकता है। धन्यवाद!

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर विनय चालीसा (नीम करौली बाबा) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें विनय चालीसा रोमन में–

॥ dohā ॥
maiṃ hū~ buddhi malīna ati,
śraddhā bhakti vihīna।
karū~ vinaya kachu āpakī,
ho saba hī vidhi dīna॥

॥ caupāī ॥
jaya jaya nība karolī bābā।
kṛpā karahu āvai sadbhāvā॥

kaise maiṃ tava stuti bakhānū।
nāma grāma kachu maiṃ nahīṃ jānū~॥

jāpe kṛpā driṣṭi tuma karahu।
roga śoka duḥkha dārida harahu॥

tumharau rūpa loga nahīṃ jānai।
jāpai kṛpā karahu soī bhānai॥

kari de arpana saba tana mana dhana।
pāvai sukha alaukika soī jana॥

darasa parasa prabhu jo tava karaī।
sukha sampati tinake ghara bharaī॥

jaya jaya saṃta bhakta sukhadāyaka।
riddhi siddhi saba sampati dāyaka॥

tuma hī viṣṇu rāma śrī kṛṣṇā।
vicarata pūrṇa kārana hita tṛṣṇā॥

jaya jaya jaya jaya śrī bhagavaṃtā।
tuma ho sākṣāt hanumaṃtā॥

kahī vibhīṣaṇa ne jo bānī।
parama satya kari aba maiṃ mānī॥

binu hari kṛpā milahi nahīṃ saṃtā।
so kari kṛpā karahi duḥkha aṃtā॥

soī bharosa mere ura āyo।
jā dina prabhu darśana maiṃ pāyo॥

jo sumirai tumako ura māhi।
tāki vipati naṣṭa hvai jāhi॥

jaya jaya jaya gurudeva hamāre।
sabahi bhā~ti hama bhaye tihāre॥

hama para kṛpā śīghra aba karahu।
parama śāṃti de duḥkha saba harahu॥

roka śoka duḥkha saba miṭa jāvai।
japai rāma rāmahi ko dhyāvai॥

jā vidhi hoī parama kalyāṇā।
soī soī āpa dehu varadānā॥

sabahi bhā~ti hari hī ko pūje।
rāga dveṣa dvaṃdana so jūjhe॥

karai sadā saṃtana kī sevā।
tuma saba vidhi saba lāyaka devā॥

saba kucha de hamako nistāro।
bhavasāgara se pāra utāro॥

maiṃ prabhu śaraṇa tihārī āyo।
saba puṇyana ko phala hai pāyo॥

jaya jaya jaya gurudeva tumhārī।
bāra bāra jāūṃ balihārī॥

sarvatra sadā ghara ghara kī jāno।
rūkho sūkho hī nita khāno॥

bheṣa vastra hai sādā aise।
jāne nahīṃ kou sādhū jaise॥

aisī hai prabhu rahanī tumhārī।
vāṇī kaho rahasyamaya bhārī॥

nāstika hū~ āstika hvai jāvai।
jaba svāmī ceṭaka dikhalāvai॥

saba hī dharmana ke anuyāyī।
tumhe manāvai śīśa jhukāī॥

nahīṃ kou svāratha nahīṃ kou icchā।
vitaraṇa kara deu bhaktana bhikṣā॥

kehī vidhi prabhu maiṃ tumhe manāū~।
jāso kṛpā-prasāda tava pāū~॥

sādhu sujana ke tuma rakhavāre।
bhaktana ke ho sadā sahāre॥

duṣṭaū śaraṇa ānī jaba paraī।
pūraṇa icchā unakī karaī॥

yaha saṃtana kari sahaja subhāū।
sunī āścarya karaī jani kāu॥

aisī karahu āpa aba dāyā।
nirmala hoī jāi mana aura kāyā॥

dharma karma meṃ rūci hoī jāve।
jo jana nita tava stuti gāvai॥

āve sadguna tāpe bhārī।
sukha sampati soī pāve sārī॥

hoya tāsu saba pūrana kāmā।
aṃta samaya pāvai viśrāmā॥

cāri padāratha hai jaga māhi।
tava kṛpā prasāda kachu durlabha nāhī॥

trāhi trāhi maiṃ śaraṇa tihārī।
harahu sakala mama vipadā bhārī॥

dhanya dhanya baḍa़ bhāgya hamāro।
pāvai darasa parasa tava nyāro॥

karmahīna aru buddhi vihīnā।
tava prasāda kachu varṇana kīnhā॥

॥ dohā ॥
śraddhā ke yaha puṣpa kachu,
caraṇana dharī samhāra।
kṛpāsindhu gurudeva prabhu,
karī lījai svīkāra॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!