जीण माता की आरती – Jeen Mata Ki Aarti
जीण माता की आरती (Jeen Mata Ki Aarti) का गायन परम हितकारी है।
शुद्ध हृदय से जो भी भक्त माता का स्मरण करता है उसके लिए जगत के सभी झंझट-बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं और सब-कुछ सरल व सुखकारी होता चला जाता है। जीण माता की आरती (Jeen Mata Aarti) गाने से माता के तप के प्रभाव और उनकी अनन्त कृपा को स्वयं के भीतर अनुभव किया जा सकता है। उनके मंदिर के समक्ष तो बड़े-बड़े बादशाह भी झुक गए ऐसा उनका दिव्य प्रताप है। उनकी कृपा-दृष्टि अपने भक्तों पर सदैव बनी रहती है और उनकी थोड़ी सी भक्ति ही महान फल देने वाली है। ऐसा कोई नहीं जो श्रद्धा से भरकर जीण माता के दर पर गया हो तथा खाली हाथ लौटा हो। वे सबको इच्छित फल सहजता से ही प्रदान कर देती हैं। पढ़ें जीण माता की आरती–
ॐ जय श्री जीण माता, जय श्री जीण माता।
जो ध्यावत जग झंझट, उसका कट जाता॥
ॐ जय श्री जीण माता…
रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि न्यारी।
सिर पर छत्र लसत है, राजत महतारी॥
ॐ जय श्री जीण माता…
कर कंगन, मुख बेसर, गल माला सोहे।
मस्तक बिंदिया दमके, मुनि जन मन मोहे॥
ॐ जय श्री जीण माता…
उमा रमा है तू ही, ही ब्रह्माणी।
सिंह वाहिनी तू ही, महिमा जग जानी॥
ॐ जय श्री जीण माता…
झांझ मृदंग नगारों की ध्वनि अति प्यारी।
दर्शन कर मैया के हर्षित नर नारी॥
ॐ जय श्री जीण माता…
जय अम्बे महामाया, जय मंगल करणी।
वरदायिनी जय जननी, जय जय अघ हरणी॥
ॐ जय श्री जीण माता…
जो भी इस आरती को प्रेम सहित गावे।
कहे चिरंजी वो निश्चय सुख सम्पत्ति पावे॥
ॐ जय श्री जीण माता…
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर जीण माता की आरती ( Jeen Mata Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें जीण माता की आरती रोमन में–
oṃ jaya śrī jīṇa mātā, jaya śrī jīṇa mātā।
jo dhyāvata jaga jhaṃjhaṭa, usakā kaṭa jātā॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…
ratna jaḍa़ita siṃhāsana, adbhuta chavi nyārī।
sira para chatra lasata hai, rājata mahatārī॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…
kara kaṃgana, mukha besara, gala mālā sohe।
mastaka biṃdiyā damake, muni jana mana mohe॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…
umā ramā hai tū hī, hī brahmāṇī।
siṃha vāhinī tū hī, mahimā jaga jānī॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…
jhāṃjha mṛdaṃga nagāroṃ kī dhvani ati pyārī।
darśana kara maiyā ke harṣita nara nārī॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…
jaya ambe mahāmāyā, jaya maṃgala karaṇī।
varadāyinī jaya jananī, jaya jaya agha haraṇī॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…
jo bhī isa āratī ko prema sahita gāve।
kahe ciraṃjī vo niścaya sukha sampatti pāve॥
oṃ jaya śrī jīṇa mātā…