कालरात्रि माता की आरती – Kalratri Mata Ki Aarti
कालरात्रि माता की आरती नवरात्रि पर्व में सप्तमी तिथि को विशेष रूप से की जाती हैI माँ कालरात्रि भगवती देवी दुर्गा का रौद्र एवं विकराल स्वरुप हैI मान्यता है की यदि भक्तों द्वारा सम्पूर्ण आस्था से कालरात्रि माता की आरती (Kalratri Mata Ki Aarti) की जाए तो उन्हें हर प्रकार की पीड़ा से मुक्ति मिलती हैI यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार की तंत्र शक्तियों से घिरा हो तो माँ कालरात्रि की आरती व साधना करने से उसकी समस्याओं का निवारण होता हैI माँ कालरात्रि की आरती करने से संतापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती हैI
रक्तबीज नामक असुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने माँ कालरात्रि को अपने तेज़ से उत्पन्न किया थाI इसलिए कालरात्रि माता की आरती (Kalratri Mata Ki Aarti) के श्रवण मात्र से शत्रुओं का नाश होता है तथा परिवार की रक्षा होती हैI कालरात्रि माता की आरती एवं पूजा से भक्तों को हमेशा शुभ फलों की प्राप्ति होती है इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता हैI काली, चामुण्डा, चंडी, रुद्रानी. भद्रकाली, महाकाली आदि नामों द्वारा भी भक्त माँ कालरात्रि की पूजा करते हैंI कालरात्रि माता की आरती पढ़ें। माँ की उपासना सभी ग्रह बाधाओं का नाश करने वाली और हर भय से मुक्ति देने वाली है।
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कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
मां कालरात्रि की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कालरात्रि माता की आरती (Kalratri Mata Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कालरात्रि माता की आरती रोमन में–
Read Kalratri Mata Ki Aarti
kālarātri jaya-jaya-mahākālī।
kāla ke muha se bacāne vālī॥
duṣṭa saṃghāraka nāma tumhārā।
mahācaṃḍī terā avatāra॥
pṛthvī aura ākāśa pe sārā।
mahākālī hai terā pasārā॥
khaḍaga khappara rakhane vālī।
duṣṭoṃ kā lahū cakhane vālī॥
kalakattā sthāna tumhārā।
saba jagaha dekhūṃ terā najārā॥
sabhī devatā saba nara-nārī।
gāveṃ stuti sabhī tumhārī॥
raktadaṃtā aura annapūrṇā।
kṛpā kare to koī bhī duḥkha nā॥
nā koī ciṃtā rahe bīmārī।
nā koī gama nā saṃkaṭa bhārī॥
usa para kabhī kaṣṭa nā āveṃ।
mahākālī mā~ jise bacābe॥
tū bhī bhakta prema se kaha।
kālarātri mā~ terī jaya॥
māṃ kālarātri kī stuti
yā devī sarvabhūteṣu māṃ kālarātri rūpeṇa saṃsthitā।
namastasyai namastasyai namastasyai namo namaḥ॥
māṃ kālarātri bīja maṃtra
klīṃ aiṃ śrī kālikāyai nama:।