धर्म

वीरभद्र चालीसा – Virbhadra Chalisa

वीरभद्र चालीसा के नियमित पाठ से भगवान शिव के गण वीरभद्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर हमेशा अपना वरद हस्त बनाए रखते हैं। वीरभद्र चालीसा (Virbhadra Chalisa) का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति सभी बुराइयों से दूर रहता है। 

जीवन में अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए भगवान वीरभद्र की मूर्ति या तस्वीर के सम्मुख बैठ वीरभद्र चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि वीरभद्र भगवान महादेव का अत्यंत उग्र स्वरूप हैं और इसलिए मान्यताओं के अनुसार वीरभद्र चालीसा (Virbhadra Chalisa) पढ़ने मात्र से पाठकों को दुश्मनों से मुक्ति मिलती है। इसलिए वीरभद्र चालीसा का नियमित पाठ करें और भगवान शिव के गण वीरभद्र जी की कृपा से सभी संतापों से मुक्ति प्राप्त करें।

॥ दोहा॥
वन्दो  वीरभद्र शरणों शीश नवाओ भ्रात ।
ऊठकर ब्रह्ममुहुर्त शुभ कर लो प्रभात॥

ज्ञानहीन तनु जान के भजहौंह शिव कुमार ।
ज्ञान ध्यानन देही मोही देहु भक्ति  सुकुमार॥

॥ चौपाई॥
जय जय शिव नन्दन जय जगवंदन।
जय जय शिव पार्वती नन्दन॥

जय पार्वती प्राण दुलारे।
जय जय भक्तन के दुखा टारे॥

कमल सदृश्य  नयन विशाला।
स्वर्ण मुकुट रूद्राक्षमाला॥

ताम्र तन सुन्दार मुख सोहे।
सुर नर मुनि मन छवि लय मोहे॥

मस्तक तिलक वसन सुनवाले।
आओ वीरभद्र कफली वाले॥

करि भक्तिन सँग हास विलासा।
पूरन करि सबकी अभिलासा॥

लखि शक्तिस की महिमा भारी।
ऐसे वीरभद्र हितकारी॥

ज्ञान ध्याुन से दर्शन दीजै।
बोलो शिव वीरभद्र की जै॥

नाथ अनाथों के वीरभद्रा।
डूबत भँवर बचावत शुद्रा॥

वीरभद्र मम कुमति निवारो।
क्षमहु करो अपराध हमारो॥

वीरभद्र जब नाम कहावै।
आठों सिद्धि दौडती आवै॥

जय वीरभद्र तप बल सागर।
जय गणनाथ त्रिलोग उजागर॥

शिवदूत महावीर समाना। 
हनुमत समबल बुद्धि धामा॥

दक्षप्रजापति यज्ञ की ठानी।
सदाशिव बिन सफल यज्ञ जानी॥

सति निवेदन शिव आज्ञा दीन्ही ।
यज्ञ सभा सति प्रस्थाान कीन्हीन॥

सबहु देवन भाग यज्ञ राखा।
सदाशिव करि दियो अनदेखा॥

शिव के भाग यज्ञ नहीं राख्यौद।
तत्क्ष ण सती सशरीर त्या्गो॥

शिव का क्रोध चरम उपजायो।
जटा केश धरा पर मार्‌यो॥

तत्क्ष ण टँकार उठी दिशाएँ।
वीरभद्र रूप रौद्र दिखाएँ॥

कृष्ण वर्ण निज तन फैलाए।
सदाशिव सँग त्रिलोक हर्षाए॥

व्योम समान निज रूप धर लिन्हो।
शत्रुपक्ष पर दऊ चरण धर लिन्हो॥

रणक्षेत्र में ध्वँस मचायो।
आज्ञा शिव की पाने आयो॥

सिंह समान गर्जना भारी।
त्रिमस्तोक सहस्र भुजधारी॥

महाकाली प्रकटहु आई।
भ्राता वीरभद्र की नाई॥

॥ दोहा॥
आज्ञा ले सदाशिव की चलहुँ यज्ञ की ओर ।
वीरभद्र अरू कालिका टूट पडे चहुँ ओर॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर वीरभद्र चालीसा (Virbhadra Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें वीरभद्र चालीसा रोमन में–

॥ dohā॥
vando vīrabhadra śaraṇoṃ śīśa navāo bhrāta ।
ūṭhakara brahmamuhurta śubha kara lo prabhāta॥

jñānahīna tanu jāna ke bhajahauṃha śiva kumāra ।
jñāna dhyānana dehī mohī dehu bhakti sukumāra॥

॥ caupāī॥
jaya jaya śiva nandana jaya jagavaṃdana।
jaya jaya śiva pārvatī nandana॥

jaya pārvatī prāṇa dulāre।
jaya jaya bhaktana ke dukhā ṭāre॥

kamala sadṛśya nayana viśālā।
svarṇa mukuṭa rūdrākṣamālā॥

tāmra tana sundāra mukha sohe।
sura nara muni mana chavi laya mohe॥

mastaka tilaka vasana sunavāle।
āo vīrabhadra kaphalī vāle॥

kari bhaktina sa~ga hāsa vilāsā।
pūrana kari sabakī abhilāsā॥

lakhi śaktisa kī mahimā bhārī।
aise vīrabhadra hitakārī॥

jñāna dhyāuna se darśana dījai।
bolo śiva vīrabhadra kī jai॥

nātha anāthoṃ ke vīrabhadrā।
ḍūbata bha~vara bacāvata śudrā॥

vīrabhadra mama kumati nivāro।
kṣamahu karo aparādha hamāro॥

vīrabhadra jaba nāma kahāvai।
āṭhoṃ siddhi dauḍatī āvai॥

jaya vīrabhadra tapa bala sāgara।
jaya gaṇanātha triloga ujāgara॥

śivadūta mahāvīra samānā।
hanumata samabala buddhi dhāmā॥

dakṣaprajāpati yajña kī ṭhānī।
sadāśiva bina saphala yajña jānī॥

sati nivedana śiva ājñā dīnhī ।
yajña sabhā sati prasthāāna kīnhīna॥

sabahu devana bhāga yajña rākhā।
sadāśiva kari diyo anadekhā॥

śiva ke bhāga yajña nahīṃ rākhyauda।
tatkṣa ṇa satī saśarīra tyāgo॥

śiva kā krodha carama upajāyo।
jaṭā keśa dharā para mār‌yo॥

tatkṣa ṇa ṭa~kāra uṭhī diśāe~।
vīrabhadra rūpa raudra dikhāe~॥

kṛṣṇa varṇa nija tana phailāe।
sadāśiva sa~ga triloka harṣāe॥

vyoma samāna nija rūpa dhara linho।
śatrupakṣa para daū caraṇa dhara linho॥

raṇakṣetra meṃ dhva~sa macāyo।
ājñā śiva kī pāne āyo॥

siṃha samāna garjanā bhārī।
trimastoka sahasra bhujadhārī॥

mahākālī prakaṭahu āī।
bhrātā vīrabhadra kī nāī॥

॥ dohā॥
ājñā le sadāśiva kī calahu~ yajña kī ora ।
vīrabhadra arū kālikā ṭūṭa paḍe cahu~ ora॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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