धर्म

मनसा देवी चालीसा – Mansa Devi Chalisa

मनसा देवी चालीसा महादेव की मानस पुत्री मनसा माता की स्तुति का माध्यम है। मान्यता है कि मनसा देवी नाग लोक के राजा वासुकि नाग की बहन है, जिनकी उत्पत्ति के लिए वासुकि नाग ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी। मनसा माता का प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भक्तों द्वारा अटूट श्रद्धा भक्ति से यहां मनसा देवी चालीसा का पाठ किया जाता है।

कहते हैं मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa) का नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। यदि कोई व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से पीड़ित है अथवा रोग दोष से त्रस्त है तो उसे मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa) का पाठ अवश्य करना चाहिए। मनसा देवी चालीसा के श्रवण मात्र से भयानक से भयानक सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है इसलिए यदि कोई जातक मनसा देवी चालीसा का सच्चे मन से पाठ करता है तो उसे जीवन में किसी भी प्रकार के कष्ट नहीं सहने पड़ते हैं। मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa) का पाठ करें जिससे सभी कष्टों का हरण हो जाता है व चिंताएँ मिट जाती हैं।

यह भी पढ़ें – मनसा देवी की आरती

॥चालीसा॥
मनसा माँ नागेश्वरी,
कष्ट हरन सुखधाम।
चिंताग्रस्त हर जीव के,
सिद्ध करो सब काम॥

देवी घट-घट वासिनी,
ह्रदय तेरा विशाल।
निष्ठावान हर भक्त पर,
रहियो सदा तैयार॥

पदमावती भयमोचिनी अम्बा,
सुख संजीवनी माँ जगदंबा।
नशा पूरक अमर अनंता,
तुमको हर चिंतक की चिंता॥

कामधेनु सम कला तुम्हारी,
तुम्ही हो शरणागत रखवाली।
निज छाया में जिनको लेती,
उनको रोगमुक्त कर देती॥

धनवैभव सुखशांति देना,
व्यवसाय में उन्नति देना।
तुम नागों की स्वामिनी माता,
सारा जग तेरी महिमा गाता॥

महासिद्धा जगपाल भवानी,
कष्ट निवारक माँ कल्याणी।
याचना यही सांझ सवेरे,
सुख संपदा मोह ना फेरे॥

परमानंद वरदायनी मैया,
सिद्धि ज्योत सुखदायिनी मैया।
दिव्य अनंत रत्नों की मालिक,
आवागमन की महासंचालक॥

भाग्य रवि कर उदय हमारा,
आस्तिक माता अपरंपारा।
विद्यमान हो कण कण भीतर,
बस जा साधक के मन भीतर॥

पापभक्षिणी शक्तिशाला,
हरियो दुख का तिमिर ये काला।
पथ के सब अवरोध हटाना,
कर्म के योगी हमें बनाना॥

आत्मिक शांति दीजो मैया,
ग्रह का भय हर लीजो मैया।
दिव्य ज्ञान से युक्त भवानी,
करो संकट से मुक्त भवानी॥

विषहरी कन्या, कश्यप बाला,
अर्चन चिंतन की दो माला।
कृपा भगीरथ का जल दे दो,
दुर्बल काया को बल दे दो॥

अमृत कुंभ है पास तुम्हारे,
सकल देवता दास तुम्हारे।
अमर तुम्हारी दिव्य कलाएँ,
वांछित फल दे कल्प लताएँ॥

परम श्रेष्ठ अनुकंपा वाली,
शरणागत की कर रखवाली।
भूत पिशाचर टोना टंट,
दूर रहे माँ कलह भयंकर॥

सच के पथ से हम ना भटके,
धर्म की दृष्टि में ना खटके।
क्षमा देवी, तुम दया की ज्योति,
शुभ कर मन की हमें तुम होती॥

जो भीगे तेरे भक्ति रस में,
नवग्रह हो जाए उनके वश में।
करुणा तेरी जब हो महारानी,
अनपढ बनते है महाज्ञानी॥

सुख जिन्हें हो तुमने बांटें,
दुख की दीमक उन्हे ना छांटें।
कल्पवृक्ष तेरी शक्ति वाला,
वैभव हमको दे निराला॥

दीनदयाला नागेश्वरी माता,
जो तुम कहती लिखे विधाता।
देखते हम जो आशा निराशा,
माया तुम्हारी का है तमाशा॥

आपद विपद हरो हर जन की,
तुम्हें खबर हर एक के मन की।
डाल के हम पर ममता आँचल,
शांत कर दो समय की हलचल॥

मनसा माँ जग सृजनहारी,
सदा सहायक रहो हमारी।
कष्ट क्लेश ना हमें सतावे,
विकट बला ना कोई भी आवे॥

कृपा सुधा की वृष्टि करना,
हर चिंतक की चिंता हरना।
पूरी करो हर मन की मंशा,
हमें बना दो ज्ञान की हंसा॥

पारसमणियाँ चरण तुम्हारे,
उज्वल करदे भाग्य हमारे।
त्रिभुवन पूजित मनसा माई,
तेरा सुमिरन हो फलदाई॥

इस गृह अनुग्रह रस बरसा दे,
हर जीवन निर्दोष बना दे।
भूलेंगें उपकार ना तेरे,
पूजेंगे माँ सांझ सवेरे॥

सिद्ध मनसा सिद्धेश्वरी,
सिद्ध मनोरथ कर।
भक्तवत्सला दो हमें सुख संतोष का वर,
सुख संतोष का वर॥

मैया जी से जय माताजी कहियो,
कहियो जी माँ के लाडलो॥

मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं एं मनसा दैव्ये स्वाहा

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मनसा देवी चालीसा (Mansa Devi Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें मनसा देवी चालीसा रोमन में–

Read Mansa Devi Chalisa

॥cālīsā॥
manasā mā~ nāgeśvarī,
kaṣṭa harana sukhadhāma।
ciṃtāgrasta hara jīva ke,
siddha karo saba kāma॥

devī ghaṭa-ghaṭa vāsinī,
hradaya terā viśāla।
niṣṭhāvāna hara bhakta para,
rahiyo sadā taiyāra॥

padamāvatī bhayamocinī ambā,
sukha saṃjīvanī mā~ jagadaṃbā।
naśā pūraka amara anaṃtā,
tumako hara ciṃtaka kī ciṃtā॥

kāmadhenu sama kalā tumhārī,
tumhī ho śaraṇāgata rakhavālī।
nija chāyā meṃ jinako letī,
unako rogamukta kara detī॥

dhanavaibhava sukhaśāṃti denā,
vyavasāya meṃ unnati denā।
tuma nāgoṃ kī svāminī mātā,
sārā jaga terī mahimā gātā॥

mahāsiddhā jagapāla bhavānī,
kaṣṭa nivāraka mā~ kalyāṇī।
yācanā yahī sāṃjha savere,
sukha saṃpadā moha nā phere॥

paramānaṃda varadāyanī maiyā,
siddhi jyota sukhadāyinī maiyā।
divya anaṃta ratnoṃ kī mālika,
āvāgamana kī mahāsaṃcālaka॥

bhāgya ravi kara udaya hamārā,
āstika mātā aparaṃpārā।
vidyamāna ho kaṇa kaṇa bhītara,
basa jā sādhaka ke mana bhītara॥

pāpabhakṣiṇī śaktiśālā,
hariyo dukha kā timira ye kālā।
patha ke saba avarodha haṭānā,
karma ke yogī hameṃ banānā॥

ātmika śāṃti dījo maiyā,
graha kā bhaya hara lījo maiyā।
divya jñāna se yukta bhavānī,
karo saṃkaṭa se mukta bhavānī॥

viṣaharī kanyā, kaśyapa bālā,
arcana ciṃtana kī do mālā।
kṛpā bhagīratha kā jala de do,
durbala kāyā ko bala de do॥

amṛta kuṃbha hai pāsa tumhāre,
sakala devatā dāsa tumhāre।
amara tumhārī divya kalāe~,
vāṃchita phala de kalpa latāe~॥

parama śreṣṭha anukaṃpā vālī,
śaraṇāgata kī kara rakhavālī।
bhūta piśācara ṭonā ṭaṃṭa,
dūra rahe mā~ kalaha bhayaṃkara॥

saca ke patha se hama nā bhaṭake,
dharma kī dṛṣṭi meṃ nā khaṭake।
kṣamā devī, tuma dayā kī jyoti,
śubha kara mana kī hameṃ tuma hotī॥

jo bhīge tere bhakti rasa meṃ,
navagraha ho jāe unake vaśa meṃ।
karuṇā terī jaba ho mahārānī,
anapaḍha banate hai mahājñānī॥

sukha jinheṃ ho tumane bāṃṭeṃ,
dukha kī dīmaka unhe nā chāṃṭeṃ।
kalpavṛkṣa terī śakti vālā,
vaibhava hamako de nirālā॥

dīnadayālā nāgeśvarī mātā,
jo tuma kahatī likhe vidhātā।
dekhate hama jo āśā nirāśā,
māyā tumhārī kā hai tamāśā॥

āpada vipada haro hara jana kī,
tumheṃ khabara hara eka ke mana kī।
ḍāla ke hama para mamatā ā~cala,
śāṃta kara do samaya kī halacala॥

manasā mā~ jaga sṛjanahārī,
sadā sahāyaka raho hamārī।
kaṣṭa kleśa nā hameṃ satāve,
vikaṭa balā nā koī bhī āve॥

kṛpā sudhā kī vṛṣṭi karanā,
hara ciṃtaka kī ciṃtā haranā।
pūrī karo hara mana kī maṃśā,
hameṃ banā do jñāna kī haṃsā॥

pārasamaṇiyā~ caraṇa tumhāre,
ujvala karade bhāgya hamāre।
tribhuvana pūjita manasā māī,
terā sumirana ho phaladāī॥

isa gṛha anugraha rasa barasā de,
hara jīvana nirdoṣa banā de।
bhūleṃgeṃ upakāra nā tere,
pūjeṃge mā~ sāṃjha savere॥

siddha manasā siddheśvarī,
siddha manoratha kara।
bhaktavatsalā do hameṃ sukha saṃtoṣa kā vara,
sukha saṃtoṣa kā vara॥

maiyā jī se jaya mātājī kahiyo,
kahiyo jī mā~ ke lāḍalo॥

॥maṃtra॥

oṃ hrīṃ śrīṃ klīṃ eṃ manasā daivye svāhā


सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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