धर्म

मेहर चालीसा

मेहर चालीसा को मैहर चालीसा के नाम से भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश के सतना जनपद के मैहर ग्राम में स्थित माँ शारदा अपने भक्तों का हर प्रकार से कल्याण करने वाली हैं। उनका दर्शन और मेहर चालीसा का गायन माता की कृपा प्राप्त करने का अचूक तरीका है। त्रिचूट पर्वत पर स्थित माता सरस्वती का यह दिव्य रूप भक्तों पर अनन्त आशीर्वाद की वर्षा करने वाला है। वे अपने भक्तों को ज्ञान और विद्या प्रदान कर संसार में सफलता की राह दिखाती हैं। जो इस मेहर चालीसा का पाठ करता है उसके दुःख अपने आप दूर हो जाते हैं। पढ़ें मेहर चालीसा–

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॥दोहा॥
मूर्ति स्वयंभू शारदा,
मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक,
धारिणी, वीणा कर में साज ॥

॥चौपाई ॥
जय जय जय शारदा महारानी,
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,
तीन लोक महं तुम विख्याता॥ 

दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना,
प्रगट भई शारदा जग जाना।
मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहाँ बैठी शारदा जग माता॥ 

त्रिकूट पर्वत शारदा वासा,
मैहर नगरी परम प्रकाशा।
सर्द इन्दु सम बदन तुम्हारो,
रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो॥

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कोटि सुर्य सम तन द्युति पावन,
राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।
कानन कुण्डल लोल सुहवहि,
उर्मणी भाल अनूप दिखावहिं ॥ 

वीणा पुस्तक अभय धारिणी,
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा,
शारदा गुण गावत सुरभूपा॥ 

हरिहर करहिं शारदा वन्दन,
वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन ।
शारदा रूप कहण्डी अवतारा,
चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा ॥ 

महिषा सुर वध कीन्हि भवानी,
दुर्गा बन शारदा कल्याणी।
धरा रूप शारदा भई चण्डी,
रक्त बीज काटा रण मुण्डी॥ 

तुलसी सुर्य आदि विद्वाना,
शारदा सुयश सदैव बखाना।
कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हरी दया शारदा माता॥ 

वाल्मीकी नारद मुनि देवा,
पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।
चरण-शरण देवहु जग माया,
सब जग व्यापहिं शारदा माया॥ 

अणु-परमाणु शारदा वासा,
परम शक्तिमय परम प्रकाशा।
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा,
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा॥ 

ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा,
शारदा के गुण गावहिं वेदा।
जय जग वन्दनि विश्व स्वरूपा,
निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा॥ 

सुमिरहु शारदा नाम अखंडा,
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।
सुर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे,
शारदा कृपा चमकते सारे॥ 

उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी,
बन्दउ शारदा जगत तारिणी।
दु:ख दरिद्र सब जाहिंन साई,
तुम्हारी कृपा शारदा माई॥ 

परम पुनीत जगत अधारा,मातु,
शारदा ज्ञान तुम्हारा।
विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी,
जय जय जय शारदा भवानी॥ 

शारदे पूजन जो जन करहिं,
निश्चय ते भव सागर तरहीं।
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना,
होई सकल्विधि अति कल्याणा॥

जग के विषय महा दु:ख दाई,
भजहुँ शारदा अति सुख पाई।
परम प्रकाश शारदा तोरा,
दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा॥

परमानन्द मगन मन होई,
मातु शारदा सुमिरई जोई।
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना,
भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना॥ 

रचना रचित शारदा केरी,
पाठ करहिं भव छटई फेरी।
सत् – सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना,
शारदा मातु करहिं कल्याणा॥ 

शारदा महिमा को जग जाना,
नेति-नेति कह वेद बखाना।
सत् – सत् नमन शारदा तोरा,
कृपा द्र्ष्टि कीजै मम ओरा॥ 

जो जन सेवा करहिं तुम्हारी,
तिन कहँ कतहुँ नाहि दु:खभारी ।
जोयह पाठ करै चालीस,
मातु शारदा देहुँ आशीषा॥

॥ दोहा ॥
बन्दऊँ शारद चरण रज,
भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर,
सदा बसहु उर्गेहुँ।
जय-जय माई शारदा,
मैहर तेरौ धाम ।
शरण मातु मोहिं लिजिए,
तोहि भजहुँ निष्काम॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मेहर चालीसा को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह चालीसा रोमन में–

Read Mehar Mata Chalisa

॥dohā॥
mūrti svayaṃbhū śāradā,
maihara āna virāja।
mālā, pustaka,
dhāriṇī, vīṇā kara meṃ sāja॥

॥caupāī॥
jaya jaya jaya śāradā mahārānī,
ādi śakti tuma jaga kalyāṇī।
rūpa caturbhuja tumharo mātā,
tīna loka mahaṃ tuma vikhyātā॥

do sahastra varṣahi anumānā,
pragaṭa bhaī śāradā jaga jānā।
maihara nagara viśva vikhyātā,
jahā~ baiṭhī śāradā jaga mātā॥

trikūṭa parvata śāradā vāsā,
maihara nagarī parama prakāśā।
sarda indu sama badana tumhāro,
rūpa caturbhuja atiśaya pyāro॥

koṭi surya sama tana dyuti pāvana,
rāja haṃsa tumharo śaci vāhana।
kānana kuṇḍala lola suhavahi,
urmaṇī bhāla anūpa dikhāvahiṃ॥

vīṇā pustaka abhaya dhāriṇī,
jagatmātu tuma jaga vihāriṇī।
brahma sutā akhaṃḍa anūpā,
śāradā guṇa gāvata surabhūpā॥

harihara karahiṃ śāradā vandana,
varuṇa kubera karahiṃ abhinandana ।
śāradā rūpa kahaṇḍī avatārā,
caṇḍa-muṇḍa asurana saṃhārā॥

mahiṣā sura vadha kīnhi bhavānī,
durgā bana śāradā kalyāṇī।
dharā rūpa śāradā bhaī caṇḍī,
rakta bīja kāṭā raṇa muṇḍī॥

tulasī surya ādi vidvānā,
śāradā suyaśa sadaiva bakhānā।
kālidāsa bhae ati vikhyātā,
tumharī dayā śāradā mātā॥

vālmīkī nārada muni devā,
puni-puni karahiṃ śāradā sevā।
caraṇa-śaraṇa devahu jaga māyā,
saba jaga vyāpahiṃ śāradā māyā॥

aṇu-paramāṇu śāradā vāsā,
parama śaktimaya parama prakāśā।
he śārada tuma brahma svarūpā,
śiva viraṃci pūjahiṃ nara bhūpā॥

brahma śakti nahi ekau bhedā,
śāradā ke guṇa gāvahiṃ vedā।
jaya jaga vandani viśva svarūpā,
nirguṇa-saguṇa śāradahiṃ rūpā॥

sumirahu śāradā nāma akhaṃḍā,
vyāpai nahiṃ kalikāla pracaṇḍā।
surya candra nabha maṇḍala tāre,
śāradā kṛpā camakate sāre॥

udbhava sthiti pralaya kāriṇī,
bandau śāradā jagata tāriṇī।
du:kha daridra saba jāhiṃna sāī,
tumhārīkṛpā śāradā māī॥

parama punīta jagata adhārā,mātu,
śāradā jñāna tumhārā।
vidyā buddhi milahiṃ sukhadānī,
jaya jaya jaya śāradā bhavānī॥

śārade pūjana jo jana karahiṃ,
niścaya te bhava sāgara tarahīṃ।
śārada kṛpā milahiṃ śuci jñānā,
hoī sakalvidhi ati kalyāṇā॥

jaga ke viṣaya mahā du:kha dāī,
bhajahu~ śāradā ati sukha pāī।
parama prakāśa śāradā torā,
divya kiraṇa devahu~ mama orā॥

paramānanda magana mana hoī,
mātu śāradā sumiraī joī।
citta śānta hovahiṃ japa dhyānā,
bhajahu~ śāradā hovahiṃ jñānā॥

racanā racita śāradā kerī,
pāṭha karahiṃ bhava chaṭaī pherī।
sat – sat namana paḍha़īhe dharidhyānā,
śāradā mātu karahiṃ kalyāṇā॥

śāradā mahimā ko jaga jānā,
neti-neti kaha veda bakhānā।
sat – sat namana śāradā torā,
kṛpā drṣṭi kījai mama orā॥

jo jana sevā karahiṃ tumhārī,
tina kaha~ katahu~ nāhi du:khabhārī।
joyaha pāṭha karai cālīsa,
mātu śāradā dehu~ āśīṣā॥

॥dohā॥
bandaū~ śārada caraṇa raja,
bhakti jñāna mohi dehu~।
sakala avidyā dūra kara,
sadā basahu urgehu~।
jaya-jaya māī śāradā,
maihara terau dhāma ।
śaraṇa mātu mohiṃ lijie,
tohi bhajahu~ niṣkāma॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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