धर्म

मकर संक्रांति की आरती – Makar Sankranti Aarti

मकर संक्रांति की आरती प्रत्येक वर्ष भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर गाई जाती है। मकर संक्रांति संपूर्ण भारत और विश्व के हिंदुओं के लिए विशेष पर्व है। भगवान सूर्य पूरी पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं। उनकी रश्मियों के बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं है। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए इस मकर संक्रांति की आरती को गाने का विधान है। दक्षिणायन से उत्तरायण में जाने पर सूर्य समूचे विश्व को मंगल पथ प्रदान करते हैं। उनका आशीष न केवल चित्त को निर्मल करता है, बल्कि बुद्धि को भी प्रखरता प्रदान करता है। पढ़ें मकर संक्रांति की आरती–

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ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी तुम चार भुजाधारी॥
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे तुम हो देव महान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते॥
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते गोधन तब घर आते॥
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में हो तव महिमा गान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

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देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते आदित्य हृदय जपते॥
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी दे नव जीवनदान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार महिमा तब अपरम्पार॥
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते बल, बुद्धि और ज्ञान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल तुम भुवनों के प्रतिपाल॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा॥
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मकर संक्रांति की आरती को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें आरती रोमन में–

मकर संक्रांति की आरती – Makar Sankranti Aarti

oṃ jaya sūrya bhagavāna, jaya ho dinakara bhagavāna।
jagat ke netrasvarūpā, tuma ho triguṇa svarūpā।
dharata saba hī tava dhyāna, oṃ jaya sūrya bhagavāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

sārathī aruṇa haiṃ prabhu tuma, śveta kamaladhārī tuma cāra bhujādhārī॥
aśva haiṃ sāta tumhāre, koṭi kiraṇa pasāre tuma ho deva mahāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

ūṣākāla meṃ jaba tuma, udayācala āte। saba taba darśana pāte॥
phailāte ujiyārā, jāgatā taba jaga sārā। kare saba taba guṇagāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

saṃdhyā meṃ bhuvaneśvara astācala jāte godhana taba ghara āte॥
godhūli belā meṃ, hara ghara hara āṃgana meṃ ho tava mahimā gāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

deva-danuja nara-nārī, ṛṣi-munivara bhajate āditya hṛdaya japate॥
stotra ye maṃgalakārī, isakī hai racanā nyārī de nava jīvanadāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

tuma ho trikāla racayitā, tuma jaga ke ādhāra mahimā taba aparampāra॥
prāṇoṃ kā siṃcana karake bhaktoṃ ko apane dete bala, buddhi aura jñāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

bhūcara jalacara khecara, sabake hoṃ prāṇa tumhīṃ। saba jīvoṃ ke prāṇa tumhīṃ॥
veda-purāṇa bakhāne, dharma sabhī tumheṃ māne। tuma hī sarvaśaktimāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

pūjana karatīṃ diśāeṃ, pūje daśa dikpāla tuma bhuvanoṃ ke pratipāla॥
ṛtueṃ tumhārī dāsī, tuma śāśvata avināśī। śubhakārī aṃśumāna॥
oṃ jaya sūrya bhagavāna…

oṃ jaya sūrya bhagavāna, jaya ho dinakara bhagavāna।
jagat ke netrasvarūpā, tuma ho triguṇa svarūpā।svarūpā॥
dharata saba hī tava dhyāna, oṃ jaya sūrya bhagavāna

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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