श्री विंध्येश्वरी की आरती – Vindhyeshwari Aarti
श्री विंध्येश्वरी की आरती पाप-ताप शांत कर मन मांगी मुराद पूरी करने वाली है। माँ का शुद्ध हृदय से स्मरण मात्र ही त्रिलोक में सब कुछ देने में सक्षम है। ऐसे में जो भक्त अन्तःकरण को श्रद्धा से भरकर श्री विंध्येश्वरी की आरती (Vindhyeshwari Aarti) गाता है, उसे इच्छा के अनुसार फल की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।
जो भी उनका ध्यान करता है, मैया से सहायता जरूर पाता है। पढ़िए श्री विंध्येश्वरी की आरती–
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी,
तेरा पार न पाया॥ टेक ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले तेरी भेंट चढ़ाया॥
सुवा चोली तेरे अंग विराजै,
केसर तिलक लगाया।
नंगे पग अकबर आया,
सोने का छत्र चढ़ाया॥
ऊँचे ऊँचे पर्वत भयो देवालय,
नीचे शहर बसाया।
सतयुग, त्रेता, द्वापर मध्ये,
कलियुग राज सवाया।
धूप दीप नैवेद्य आरती,
मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं,
मनवांछित फल पावै॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर श्री विंध्येश्वरी की आरती (Vindhyeshwari Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें श्री विंध्येश्वरी की आरती रोमन में–
Read Vindhyeshwari Aarti
suna merī devī parvata vāsinī,
terā pāra na pāyā।॥ ṭeka ॥
pāna supārī dhvajā nāriyala,
le terī bheṃṭa caḍha़āyā॥
suvā colī tere aṃga virājai,
kesara tilaka lagāyā।
naṃge paga akabara āyā,
sone kā chatra caḍha़āyā॥
ū~ce ū~ce parvata bhayo devālaya,
nīce śahara basāyā।
satayuga, tretā, dvāpara madhye,
kaliyuga rāja savāyā।
dhūpa dīpa naivedya āratī,
mohana bhoga lagāyā।
dhyānū bhagata maiyā tere guṇa gāvaiṃ,
manavāṃchita phala pāvai॥
विन्ध्येश्वरी माता सब दुःखों का नाश कर भक्तों पर हर तरह की कृपा बरसाती हैं। उनकी ममतामयी दृष्टि भक्त के सारे दुःख-दर्द दूर करने में सक्षम है। जरूरत है तो केवल साफ दिल और श्रद्धा की। बड़े-से-बड़ा राजा और साधारण-से-साधारण रंक उनकी शरण में आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने में सफल होते हैं। कृपया श्री विंध्येश्वरी चालीसा पढ़ने के लिए यहाँ जाये – श्री विंध्येश्वरी चालीसा।